टोंक। समरावता प्रकरण में ग्रामीणों की सबसे ज्यादा नाराजगी झेल रहे मालपुरा SDM की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उनके समेत अन्य लोगों के खिलाफ मालपुरा कोर्ट ने मुकदमा दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश कोर्ट ने कोर्ट स्टे के बावजूद मालपुरा में किराए पर ले रखी सरकारी दुकान को जेसीबी मशीन से तोड़ने के मामले पर दिया है। कोर्ट आरोपी मालपुरा SDM अमित चौधरी (तत्कालीन नगर पालिका ई.ओ.) समेत छह नामजद सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों के अलावा अन्य कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच कर उसकी रिपोर्ट को देने के आदेश पुलिस को दिए हैं।
इस मामले में गत साल पीड़ित राकेश पारीक मालपुरा ACJM कोर्ट में इस्तगासा दायर किया था। उस पर कोर्ट ने यह आदेश 23 जनवरी को दिए हैं। अब इसकी कॉपी मिली है। पीड़ित ने कोर्ट में पेश किए गए इस्तगासे में बताया था कि मालपुरा SDM तब कार्यवाहक ईओ भी थे। 18 अक्टूबर 2024 को उन्होंने बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के किराए की (सरकारी) दुकान को तोड़-फोड़ कर ध्वस्त कर दिया। दुकान का सामान, फर्नीचर, नकदी, स्टाम्प पेपर को गायब कर ले गए। इस मामले में परिवादी राकेश कुमार पारीक की ओर से एसीजेएम न्यायालय मालपुरा में एसडीएम अमित कुमार चौधरी सहित अन्य के खिलाफ अमित कुमार चौधरी, अधिशाषी अधिकारी एवं उपखंड अधिकारी मालपुरा, पवन कुमार मातवा, तत्कालीन तहसीलदार मालपुरा, जयनारायण जाट, प्रशासनिक अधिकारी हाल नगरपालिका, न रामदास माली गिरदावर, राजेश कुमार जमादार, राजेन्द्र कुमार स्टोर कीपर के खिलाफ एक इस्तगासा दायर कर न्याय की गुहार लगाई थी। इस मामले में न्यायाधीश ने सुनवाई करते हुए 23 जनवरी को आदेश दिए कि आरोपियों पर मामला दर्ज कर जांच कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। साथ ही परिवादी द्वारा पेश की गई सीडी को सुरक्षित रखने के आदेश दिए।
यह था पूरा मामला:
18 अक्टूबर 2024 को मालपुरा SDM और तत्कालीन नगर पालिका मालपुरा ईओ अमित कुमार चौधरी, मालपुरा तहसीलदार पवन कुमार, प्रशासनिक अधिकारी, हाल नगर पालिका एवं पंचायत समिति मालपुरा जयनारायण जाट, मालपुरा गिरदावर रामदास माली, मालपुरा जमादार राजेश कुमार, स्टोर कीपर राजेन्द्र कुमार और अन्य 15-20 कर्मचारी, महिला सफाई कर्मचारी, 15-20 पुलिस फोर्स के साथ मय जेसीबी लेकर मौके पर पहुंचे। वहां पीड़ित की किराए की दुकान पर न्यायालय का स्थगन आदेश होने की सार्वजनिक सूचना चस्पा थी। इसके बावजूद SDM अमित चौधरी ने न्यायालय के स्थगन आदेश को दरकिनार करते हुए परिवादी की दुकान को अतिक्रमण बताते हुए जेसीबी मशीन से जमींदोज करवा दिया। स्टे का आदेश भी फाड़ दिया।
परिवादी ने दुकान पर ताला खोल कर सामान बाहर निकालने की मोहलत मांगी थी, लेकिन कर्मचारियों ने नहीं सुनी। ताला तोड़कर 15-20 कर्मचारी दुकान के अंदर घुस गए और सामान बाहर फेंक दिया। जेसीबी मशीन से दुकान को ध्वस्त कर दिया गया था।
इसी अफरा-तफरी में परिवादी का बहुत सारा सामान गायब चोरी हो गया था, लेकिन नगरपालिका मालपुरा द्वारा परिवादी को किसी प्रकार से अवगत नहीं करवाया और ना सामानों की जब्ती की सूचना दी गई। इस मामले में परिवादी राकेश कुमार की ओर से बिना सरकारी प्रक्रिया की पालना कर अवैधानिक रूप से सरकारी भवन को ध्वस्त करने, दुकान का ताला तोड़ कर सामान गायब करना, न्यायालय आदेशों की प्रति एवं बैनर को फाड़ना, एकराय होकर षडयन्त्र रचकर उक्त भवन को ध्वस्त करना, सरकारी स्टाम्प की चोरी करना, नकदी गायब करना, पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कार्रवाई करना, किराया इकरारनामा होने के बावजूद किराएदार को बिना नियमों की पालना किए बेदखल करना एवं न्यायालय अवमानना का दोषी मानते हुए इन दोषी अधिकारी- कर्मचारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करने की गुहार लगाई गई थी।