जोधपुर। – 2 दिसंबर 2023 की घटना, एक साल तक टरकाने के बाद पुलिस ने अब दर्ज किया केस
– सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय में तैयार होते हैं पुलिस के साइबर वॉरियर्स
जोधपुर ही नहीं पूरे प्रदेश व देश में पुलिस के साइबर वॉरियर्स तैयार करने वाले सरदार पटेल पुलिस सुरक्षा विश्वविद्यालय के ही एक सहायक आचार्य के साथ 99 हजार रुपए का साइबर फ्रॉड हो गया। हैरानी की बात है कि गत 2 दिसंबर 2023 को हुई इस घटना के संबंध में 24 जनवरी 2025 को एफआईआर दर्ज हुई है। इसमें सहायक आचार्य ने बताया कि उनके खाते से रुपए निकलने से पहले न तो उनके मोबाइल पर किसी का कोई कॉल ही आया और न ही ओटीपी या मैसेज आया।
मंडोर पुलिस ने बताया कि क्षेत्र के लाल बाग नागौरी बेरा निवासी डॉ. रुफस डी की ओर से रिपोर्ट दी गई है। इसमें बताया गया कि वे सरदार पटेल पुलिस सुरक्षा विश्वविद्यालय में अपराध शास्त्र (क्रिमिनोलॉजी) विभाग में सहायक आचार्य हैं। गत 2 दिसंबर 2023 को दोपहर 12:30 बजे उनके मोबाइल पर एक मैसेज मिला, जिसमें उनके स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाते से 95 हजार रुपए निकलने की जानकारी थी। मैसेज में किसी राहुल एस व्यक्ति का नाम लिखा दिखा।
इससे हैरान परेशान डॉ. रुफस ने तत्काल एसबीआई के टोल फ्री नंबर पर कॉल करके शिकायत की, तब उन्हें कॉल सेंटर से ही जानकारी मिली कि एसबीआई खाते से 4000 रुपा और निकाले गए हैं। साथ ही उनके आग्रह पर बैंक प्रतिनिधि ने खाते से संबंधित डेबिट कार्ड, एटीएम, एसबीआई ऑनलाइन पैमेंट लिंक इत्यादि को ब्लाक कर दिया गया। इसके तत्काल बाद ही उन्होंने साइबर क्राइम की रिपोर्ट के लिए कई बार 1930 पर कॉल किया, लेकिन बात नहीं हो पाई। तब उन्होंने साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल crime.gov.in. पर शिकायत दर्ज की। इस पर उनकी शिकायत को 22712230041312 से पंजीकृत किया गया।
टरकाती रही पुलिस – ‘जांच कर रहे हैं…’
इसके बाद मंडोर थाने में शिकायत दी। पोर्टल पर दर्ज शिकायत भी पुलिस के पास पहुंच चुकी थी। इसके बाद से लेकर कुछ दिनों पहले तक डॉ. रुफस मंडोर थाने के चक्कर लगाते रहे और उन्हें हर बार एक ही जवाब मिला कि जांच चल रही है। लेकिन हकीकत यह थी कि उनकी शिकायत पर पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। हाल ही में उन्हें पता चला कि पोर्टल पर दर्ज शिकायत को भी पुलिस ने बिना परिवादी की सहमति के यह कहते हुए बंद कर दिया कि परिवादी संतुष्ट है। इसका पता चलने के बाद उन्होंने पुलिस को दुबारा रिपोर्ट दी, तब ये एफआईआर दर्ज हुई।
पूरी तनख्वाह की राशि शातिर ने निकाल ली
डॉ. रुफस ने पुलिस को दी रिपोर्ट बताया कि 2 दिसंबर को उन्होंने 95 हजार का कोई ट्रांजेक्शन ही नहीं किया था। इतना ही नहीं, उनके पास न तो कोई कॉल ही आया और न ही किसी तरह का ओटीपी या लिंक इत्यादि ही कुछ आया। सिर्फ आया तो रुपए निकलने का मैसेज। जबकि, हकीकत ये थी कि उस दिन डॉ. रुफस ने अपने पेटीएम से सिर्फ 130 रुपए का ही पेमेंट किया था। उनके खाते से निकले 95 हजार और 4 हजार के ट्रांजेक्शन उन्होंने नहीं किए। ऐसे में संभव है कि किसी साइबर क्रिमिनल ने किसी बैंक कर्मचारी की मिलीभगत से ये फ्रॉड किया होगा।