उदयपुर। जयपुर-अजमेर हाईवे पर डीपीएस कट पर हुए एलपीजी टैंकर ब्लास्ट की घटना से पूरा राज्य हिल गया लेकिन ऐसी की एक तस्वीर उदयपुर-चित्तौड़गढ़ नेशनल हाईवे-76 पर दिन-रात दिखने को मिलती है।
यहां देबारी ग्रेटर चौराहा के पास दो कट ऐसे है जहां भारी वाहन बीच हाइवे पर टर्न लेते है। टर्न इतना खतरनाक होता है कि पूरा सड़क ब्लॉक हो जाता है। वेसे इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इस हाइवे पर इन कट की वजह से अब तक करीब एक दर्जन लोगों की मौत हो गई है।
उदयपुर-डबोक हवाई अडडा जाने वाले नेशनल हाईवे-76 पर देबारी ग्रेटर चौराहा पर मौत के लिए ये दो टर्न बने हुए है। अफसर हो या जनप्रतिनिधि सब इसी हाइवे से गुजरते है क्योंकि यह वीआईपी रोड जो है। उदयपुर से डबोक एयरपोर्ट आने और जाने वाले इस रोड से गुजरते है। यहां वाहन जैसे ही टर्न लेते है तो वे पूरे लेन को कवर कर लेते है। सबसे अहम बात यह है कि सबसे ज्यादा वाहनों की संख्या में भारी वाहन ही है।
हाइवे में खामी से हो रहा है ऐसा
लोगों का मानना है कि जब से देबारी से काया के बीच बाईपास बनाया तब ही यहां से पिंडवाडा और देबारी जाने के रास्ते इस ग्रेटर चौराहा पर तैयार किए गए लेकिन इसमें खामियां साफ तौर पर सामने दिख रही हैं। नेशनल हाइवे ने पिंडवाडा की तरफ जाने और वहां से उदयपुर की तरफ आने वाले वाहनों के लिए कोई सर्विस रोड नहीं बनाई।
खामियों को ऐसे समझे
- चित्तौड़गढ़, मंगलवाड़, मावली और डबोक होकर उदयपुर की तरफ आने वाले वे वाहन जिनको गोगुंदा, पिंडवाडा या सिरोही की तरफ जाना है उनको पिंडवाड हाइवे पकड़ने के लिए कोई ब्रिज, अंडरपास नहीं दिया गया है। ऐसे में इस रूट के वाहन देबारी ग्रेटर चौराहा क्रॉस कर आगे करीब 500 मीटर आते है और पेसिफिक गेट से पहले जो कट है उस कट से वापस डबोक की तरफ टर्न लेते है। इसके बाद वे डबोक वाली रोड से ही जो पिंडवाडा की सर्विस रोड है उसको पकड़ लेते है।
- सिरोही, गोगुंदा, पिंडवाडा होकर देबारी चौराहा पर आने वाले वे वाहन जिनको उदयपुर शहर में प्रतापनगर, मादड़ी इंडस्ट्रीयल एरिया में आना है उनको उदयपुर आने के लिए देबारी गांव के मुख्य हाइवे पर स्थित कट से उदयपुर शहर वाली रोड पर आना होगा।
आसपास कई कॉलोनियां
जो कट बने हुए उसके आसपास कई कॉलोनियां है। इसमें देबारी के पास की कॉलोनियां है तो आगे कॉलेज और पास ही स्कूल भी संचालित है। इन दोनों कट के आगे तक शहर का तेजी से विस्तार हो रहा है। उदयपुर से डबोक तक बड़ी संख्या में नियमित आने-जाने वाले रहते है और इस कट पर आकर उनकी चिंता बढ़ जाती है।
भारी और लंबे-लंबे वाहन
हमने इस कट पर सुबह करीब 9 से 10 बजे तक एक घंटा वहां देखा तो करीब जितने भी वाहनों ने उस कट को पार कर पिंडवाडा रोड पकड़ा उसमें अधिकतर कंटेनर, ट्रेलर और टैंकर थे। इन वाहनों की लंबाई इस कदर थी कि इनका अगला भाग उस रोड के आखिरी छोर पर दूसरा भाग कट के वहां तक होता है।
सबसे अहम बात यह है कि ये वाहन जिस लेन से कट ले रहे है वहां भी वे पहले से ही लंबा कट लेते है तब जाकर दूसरी सर्विस रोड पर जा सकते हैं। ऐसे में नेशनल हाइवे की दोनों लेन पर चलने वाले वाहन रुक जाते हैं। सबको जाने की जल्दी होती है ऐसे में ऐसे वाहनों के बीच दूसरे वाहन चालक निकलने की जल्दबाजी करते है और हादसा हो जाता है।
उप सरपंच बोले हादसों का केंद्र बन गए कट
देबारी ग्राम पंचायत के उप सरपंच चंदन सिंह देवड़ा बताते है कि इस रूट पर जो ये कट है उनमें करीब एक दर्जन से ज्यादा लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी हैं। देवड़ा कहते है कि कट से कई ज्वलनशील वाहन भी टर्न लेते है तब चिंताएं इस कदर बढ़ जाती है और जयपुर हादसा आंखों के सामने आ जाता है। देवड़ा कहते है कि इसका जो भी रास्ता निकाला जाए उसमें देरी नहीं करनी चाहिए। सर्कल बनने के बाद कुछ खामियां रही है और करीब 19 लोगों की मौत हो चुकी है।
यह हो सकता है समाधान
नेशनल हाइवे को देबारी ग्रेटर चौराहा बनाने के समय ही इसका विकल्प रखना था। अब हो यह सकता है कि डबोक की तरफ से आने वाले वाहन अगर पिंडवाडा की तरफ जाना चाहते है तो उनके लिए पहले से ही अंडरपास या ओवरब्रिज बनाना चाहिए ताकि वाहन आसानी से निकल जाए। ठीक इसी प्रकार का प्रबंध पिंडवाडा से आकर उदयपुर की तरफ जाने वाले वाहनों के लिए करना होगा। इसके लिए एलिवेटेड रोड जो प्रतापनगर से यहां बनना है उसको इसी परिपेक्ष्य में तैयार किया जाए ताकि यहां इस समस्या का समाधान भी हो सके।
इधर, नेशनल हाइवे की और से अंडरपास बनाने की बात की जा रही है। दावा है कि यहां पर अंडरपास बनाने का काम जल्द शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही सर्विस रोड को भी चौड़ा किया जाएगा।