टोंक। कांग्रेस विधायक इंदिरा मीणा ने कहा कि समरावता का कांड मणिपुर हिंसा से कम नहीं है। मणिपुर में जिस तरह से हिंसक घटना हुई, उससे भी ज्यादा बर्बरता पुलिस ने समरावता में की। यही नहीं, गिरफ्तार किए गए लोगों को थाने में इतना मारा कि उनके हाथ-पैर टूट गए।
बामनवास विधायक इंदिरा मीणा गुरुवार को टोंक जेल में बंद नरेश मीणा से मिली थीं। मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा- नरेश मीणा इसमें इतना दोषी नहीं है जितना सरकार के इशारे पर पुलिस उसे बता रही है। उसका जुर्म सिर्फ SDM के थप्पड़ मारना था। अन्य मामले छात्र राजनीति और जनहित के आंदोलनों के हैं।
इंदिरा मीणा ने कहा- नरेश मीणा से बड़ा मुल्जिम (आरोपी) तो एसडीएम (मालपुरा) अमित चौधरी है, जिसने आचार संहिता की धज्जियां उड़ाकर विधानसभा उपचुनाव में जबरन वोट डलवाए। SDM समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ सरकार ने कुछ कार्रवाई नहीं की। संभागीय जांच भी दिखावा है।
विधायक ने कहा- विधानसभा में सरकार को घेरेंगे
इंदिरा मीणा ने कहा कि इस मामले को लेकर सरकार को कल (शुक्रवार को) विधानसभा में घेरेंगे। इसके लिए सवाल लगाए हैं। सरकार सवालों का जवाब देगी या फिर पहले की तरह सवालों को पेंडिंग रखा जाएगा।
इस मामले में सांसद हरीश मीणा समेत कांग्रेस के अन्य बड़े नेताओं के दूरी बनाने पर इंदिरा ने कहा कि सांसद का मुझे पता नहीं, वे ही बता सकते हैं। लेकिन, पार्टी इसे एकजुट होकर कल विधानसभा में उठाएगी।
विधायक ने यह भी कहा कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है। बिना न्यायिक जांच के न्याय नहीं मिल सकता है। बड़ा भाई छोटे भाई के खिलाफ कैसे कार्रवाई करेगा। मतलब जांच अधिकारी और आरोपी प्रशासनिक अधिकारी हैं।
किरोड़ीलाल को साइडलाइन किया
इंदिरा मीणा ने कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के विधानसभा सत्र से एब्सेंट रहने के सवाल पर कहा कि कांग्रेस सरकार के सामने किरोड़ीलाल मीणा ने विपक्ष की भूमिका निभाई थी। उनका संघर्ष बीजेपी सरकार बनने में काफी मददगार रहा था, लेकिन अब उन्हें सरकार साइडलाइन कर रही है। इग्नोर कर रही है। इसीलिए किरोड़ीलाल मीणा ने सत्र से एब्सेंट रहने की अनुमति मांगी है।
पोलिंग बूथ पर एसडीएम को मार दिया था थप्पड़
13 नवंबर को टोंक में देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए मतदान हुआ था। इसमें समरावता के लोगों ने उनके गांव को उनियारा उपखंड कार्यालय में शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार कर रखा था। तब निर्दलीय प्रत्याशी रहे नरेश मीणा भी मांग को वाजिब बताते हुए ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गए थे।
मतदान बहिष्कार के बावजूद समरावता गांव के पोलिंग बूथ पर तीन लोगों के जबरन वोट डलवाने का आरोप लगाते हुए नरेश ने SDM अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। रात को नरेश मीणा को पकड़ने आई पुलिस और ग्रामीण आमने-सामने हो गए थे। स्थिति काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और हवाई फायर किया था। आंसू गैस के गोले छोड़े थे। दूसरे दिन (14 नवंबर को) पुलिस ने नरेश मीणा को धरना स्थल से गिरफ्तार कर लिया था। फिर कोर्ट के आदेश पर 15 नवंबर को जेल भेज दिया था।