जोधपुर। शहर के भदवासिया बेरावाला बास स्थित ई-मित्र संचालक को झांसा देकर शातिर ने साइबर ठगी की राशि उसके खाते में ट्रांसफर करके वापस नकदी ले ली, लेकिन बाद में जब ई-मित्र का बैंक खाता फ्रीज हुआ, तो संचालक को इस धोखाधड़ी का पता चला। इसके बाद पीड़ित माता का थान पुलिस स्टेशन गया, लेकिन वहां कार्रवाई की बात कहते हुए उसे टरकाते रहे। आखिरकार, पीड़ित ने कोर्ट में इस्तगासा पेश कर एफआईआर दर्ज कराई।
भदवासिया बेरावाला बास निवासी ताराचंद खोरवाल ने रिपोर्ट में बताया- वह ई-मित्र सेवा केंद्र चलाता है, जहां आम उपभोक्ताओं से जुड़े काम (बिल भरना, कंप्यूटर से संबंधित और रुपए ट्रांसफर करने) करता है। 20 जून को उनके एक्सिस बैंक चालू खाते में ट्रांजैक्शन बंद हो गया था। वह बैंक पहुंचा तो उसका अकाउंट फ्रीज कर दिया गया है। 7 जून 2024 को तीन ट्रांजैक्शन हुए।
ई-मित्र संचालक ने तीनों ट्रांजैक्शन की जानकारी ली। तब पता चला कि उसके खाते में रुपए मदेरणा कॉलोनी सोनारों की गली निवासी दीपक सोनी ने ट्रांसफर किए थे। इनमें 10 हजार, 50 हजार और 25 हजार के ट्रांजैक्शन को मिलाकर कुल 85 हजार रुपए डाले थे। इस दौरान दीपक सोनी ने ई-मित्र संचालक को भरोसा दिया था कि वो राशि उसकी खुद की है और उसे नकद रुपयों की जरुरत है। परिवादी को धोखे में रखकर दीपक सोनी ने उससे नकद राशि प्राप्त की थी।
खुद के साथ हुए धोखे के बारे में पता चलने पर ताराचंद माता का थान पुलिस स्टेशन पहुंचा और रिपोर्ट दी। तब पुलिस ने उसे कार्यवाही का भरोसा दिया लेकिन उसकी रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज नहीं की। कई बार चक्कर लगाने के बाद एक अनुसंधान अधिकारी भी नियुक्त किया गया लेकिन कार्यवाही आगे नहीं बढ़ी।
इसके बाद परिवादी ने 20 जनवरी को थानाधिकारी माता का थान और पुलिस कमिश्नर को भी रिपोर्ट भेज एफआईआर दर्ज करने का आग्रह किया। उस पर भी कार्रवाई नहीं हुई। तब उसने कोर्ट में इस्तगासा पेश किया। उसी आदेश पर पुलिस ने अब एफआईआर दर्ज कर जांच एसआई हरखाराम को सौंपी है।