अजमेर। 16 साल की नाबालिग से रेप के मामले में आरोपियों की जमानत याचिका को पॉक्सो कोर्ट ने खारिज कर दिया है। रेप के बाद पीड़िता गर्भवती हो गई थी। इसके बाद उसका ऑर्ब्शन करवाया गया था। पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल और भ्रूण की जांच करवाई। रिपोर्ट में भ्रूण पीड़िता और आरोपियों से नहीं मिले। इस पर परिजनों ने हॉस्पिटल प्रशासन पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया है। भ्रूण बदलने के मामले में भी पुलिस जांच करेगी। हॉस्पिटल प्रशासन से भी जवाब मांगा गया है। सरकारी वकील प्रशांत यादव ने बताया- 16 साल की छात्रा से रेप मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों ने जमानत याचिका पेश की थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों की जमानत खारिज कर दी। आरोपियों के खिलाफ केकड़ी पुलिस ने जून 2024 को रेप का मामला दर्ज किया था। आरोपियों को मामले के एक साल बाद मई 2025 में पकड़ा गया था।
वहीं पीड़िता के परिजनों ने पुलिस और जनाना हॉस्पिटल प्रशासन पर आरोपियों के साथ मिलकर उन्हें बचाने के लिए सैंपल में हेर-फेर का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना था कि आरोपियों ने उन पर केस वापस लेने का भी दबाव बनाया था। भ्रूण कैसे बदला, इसे लेकर पुलिस जांच कर रही है। हॉस्पिटल प्रशासन से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। पुलिस का कहना है कि अबॉर्शन के बाद भ्रूण सुरक्षित रखने और सैंपल लेने की जिम्मेदारी हॉस्पिटल प्रशासन की थी। केकड़ी पुलिस ने जून 2024 को रेप का मामला दर्ज किया था। पीड़िता ने बयान में बताया था कि उसके गांव का एक युवक और उसके स्कूल के लड़कों ने जनवरी 2024 को रेप किया था। जून 2024 में पेट में दर्द होने पर परिजन केकड़ी के सरकारी हॉस्पिटल लेकर गए थे। डॉक्टरों ने उसे जनाना हॉस्पिटल रेफर किया था। जनाना हॉस्पिटल में डॉक्टर ने प्रेग्नेंट बताकर उसका अबॉर्शन कराया गया।