जोधपुर। एम्स जोधपुर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में रोबोट से फेफड़े और सांस की नली को काटकर फेफड़ा बचाने का जटिल ऑपरेशन (रोबोटिक पल्मोनरी स्लीव रिसेक्शन) सफलतापूर्वक किया गया। मरीज को बलगम में काफी खून आने की शिकायत थी। मरीज ने पहले श्रीगंगानगर में डॉक्टर को दिखाया। इसके बाद एम्स जोधपुर में जांच करवाई। दूरबीन की जांच और बीओप्सी में युवक के कैंसर का पता चला।
मरीज को खांसी के साथ खून सांस की थी समस्या
सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के विभागाध्यक्ष व अतिरिक्त आचार्य डॉ. जीवन राम विश्नोई ने बताया- मरीज का कैंसर दाहिने फेफड़े के ऊपरी हिस्से और सांस की नली को ब्लॉक कर रहा था। इस वजह से खांसी के साथ काफी खून और सांस की समस्या हो रही थी। इस प्रकार के टूमओर को सर्जरी से निकालने के लिए दाहिने पूरे फेफड़े को भी निकालना पड़ सकता था। ऑपरेशन भी में बड़ा चीरा लगाकर पूरी छाती को खोलकर किया जाता है। मरीज को ऑपरेशन से रिकवरी में काफी समय लगता। ऑपरेशन के बाद मरीज को निमोनिया, छाती में दर्द, ICU में रखने जैसी सम्भावना रहती है। कैंसर का पता लगने पर सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, एनेस्थीसिया और पल्मोनरी मेडिसिन विभाग ने मिलकर इलाज के लिए बात की। ये ऑपरेशन छाती में केवल 8 व 12 मिमी के चीरे लगाकर रोबोट के माध्यम से किया गया। इसमें सबसे पहले लिम्फनोड्स और फिर जटिल खून की नसें जो हार्ट से निकलकर फेफड़े के ऊपरी लोब को जाती है, उनको विछेदित करके सांस की नली ब्रोंकस को काटकर बचे हुए निचले हिस्से को टांके लगाकर जोड़ा गया। ये ऑपरेशन करने के बाद में मरीज को सीधे वार्ड में ही शिफ्ट कर दिया गया। आईसीयू की जरुरत भी नहीं पड़ी।
5 दिन में मरीज डिस्चार्ज
ऑपरेशन के 5 दिन बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया। इस प्रकार के ऑपरेशन केवल मेट्रो शहरों में ही होते है। निजी हॉस्पिटल में इस प्रकार के ऑपरेशन के लाखों रुपये खर्च होते है। एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में सरकार की बीमा योजना में बिल्कुल मुफ्त में किया गया।
सर्जिकल ऑन्कोलॉजी में कई जटिल ऑपरेशन किए
सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में औसत 1000 कैंसर के मरीजों का ऑपरेशन विभिन्न पद्तियों जैसे के ओपन सर्जरी, दूरबीन और रोबोट से किया जाता है। रोबोट की मदद से करीब 200 मरीजों के जटिल कैंसर के ऑपरेशन जिसमें आहारनली, स्टमक, मलद्वार के कैंसर, लंग कैंसर, थाइमस कैंसर, बच्चेदानी के कैंसर, पेशाब की थैली व थायरॉइड कैंसर व ओरोफैरिंक्स के कैंसर का किया गया। डॉ. विश्नोई ने बताया- इसका श्रेय संस्थान के नेतृत्व, कार्यकारी निदेशक डॉ. जीडी पुरी व अस्पताल अधीक्षक डॉ. महेश देवनानी के मोटिवेशन और अनवरत सहयोग को जाता है। कार्यकारी निदेशक डॉ. जीडी ने टीम को बधाई देते हुए कहा- ये एम्स जैसे संस्थान इसी प्रकार के जटिल बीमारियों और उनके इलाज को आमजन तक सुलभ रूप से प्रदान करने के लिए ही बना है।