जालोर (सामतीपूरा)। जिले के सामतीपूरा क्षेत्र में आवासीय भूखंड पर बिना किसी वैध स्वीकृति के तैयार किया गया ‘जय भोलेनाथ रिसॉर्ट’ आज भी पूरी भव्यता से संचालित हो रहा है। इस निर्माण के खिलाफ लोकायुक्त राजस्थान और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT), भोपाल में परिवाद विचाराधीन है, लेकिन इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन और नगर परिषद आंख मूंदे बैठी है। इस पूरे मामले को समाजसेवी भोम सिंह ने उजागर किया और दोनों मंचों पर इसकी विधिवत शिकायत दर्ज की। रिसॉर्ट का न तो कोई नक्शा स्वीकृत है, न ही भू-उपयोग परिवर्तन (land use change) किया गया है। फिर भी नगर परिषद के अधिकारियों की मिलीभगत से यह अवैध निर्माण अब “व्यवसायिक संचालन” में बदल चुका है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने “राजेन्द्र कुमार बड़जात्या बनाम उत्तर प्रदेश सरकार” के निर्णय में स्पष्ट कहा है –
कोई भी अवैध निर्माण, चाहे वह कितना भी पुराना क्यों न हो, उसे संरक्षित नहीं किया जा सकता। ऐसे निर्माण को तुरंत प्रभाव से ध्वस्त किया जाए।
इस फैसले में यह भी साफ तौर पर कहा गया है –
यदि किसी अधिकारी के कार्यकाल के दौरान ऐसा अवैध निर्माण होता है, और वह उसकी अनदेखी करता है या कार्रवाई नहीं करता तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासनिक चुप्पी पर बड़ा सवाल
नगर परिषद के अधिकारी न तो कोई कार्रवाई कर रहे हैं, न ही जवाब दे रहे हैं। सवाल यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश इतना स्पष्ट है, और मामला NGT व लोकायुक्त में विचाराधीन है, फिर भी प्रशासन क्यों खामोश है? क्या यह अधिकारियों की मिलीभगत, घोर लापरवाही और कानून की अवमानना नहीं है? भ्रष्टाचार और लापरवाही का प्रतीक बनता जा रहा है यह रिसॉर्ट, जो यह दिखाता है कि नियम-कानून सिर्फ आम जनता पर लागू होते हैं, रसूखदारों पर नहीं।
जनता का सवाल
क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को यूँ ही नजरअंदाज किया जाएगा? क्या जिम्मेदार अधिकारी बच निकलेंगे या उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होगी? क्या यह अवैध रिसॉर्ट कभी ढहेगा या राजनीतिक और प्रशासनिक गठजोड़ इसे बचाता रहेगा? समाज अब जवाब मांग रहा है — और देर-सबेर न्याय की दस्तक होगी।