रामगढ़ के दंगल में सुखवंत- आहूजा से ज्यादा सिंघल की चर्चा
राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर जल्द ही उपचुनाव होने वाले हैं । इसकी घोषणा जल्दी ही केंद्रीय निर्वाचन आयोग की तरफ से किए जाने की संभावना है लेकिन 7 सीटों में से सबसे ज्यादा जिस सीट की चर्चा हो रही है वह सीट अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट है । देशभर में यह सीट दलगत राजनीति से ज्यादा हिंदू और मुस्लिम फैक्टर पर चुनाव के नाम पर जानी जाती है। यहां दोनों ही पार्टियां ध्रुवीकरण को मद्देनजर रखते हुए ही अपने-अपने चेहरे जनता के सामने पेश करती हैं । पिछले 40 साल से कांग्रेस की ओर से हाल ही में दिवंगत हुए वर्तमान विधायक जुबेर खान या उनके परिवार को ही टिकट दिया गया है । भाजपा पिछले तीन चुनाव से यहां प्रत्याशी बदल रही है। वर्ष 2013 में यहां ज्ञान देव आहूजा को प्रत्याशी बनाया गया था। वहीं 2018 में सुखवंत सिंह को तथा 2023 में जय आहूजा को प्रत्याशी बनाया गया था। केवल 2013 में ही भाजपा यहां जीत सकी थी । इसके बाद दोनों चुनाव यहां कांग्रेस ने जीते।
उपचुनाव में बनवारी लाल सिंघल के नाम की जबरदस्त चर्चा
इस समय रामगढ़ की सीट जिस वजह से चर्चा में है उसका एकमात्र कारण अलवर में हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेता माने जाने वाले बनवारी लाल सिंघल है । वे लगातार यहां से दूसरी बार दावेदारी पेश कर रहे हैं। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाना चाहती थी लेकिन अलवर शहर से बनवारी लाल सिंघल चुनाव लड़ने के इच्छुक थे जिसकी वजह से पिछली बार भी यहां से टिकट नहीं मिला था। इस बार बनवारी लाल सिंघल के नाम ने रामगढ़ में हलचल बढ़ा दी है। हिंदुत्व का फायर ब्रांड चेहरा माने जाने वाले सिंघल हिंदुत्व पर अक्सर खुलकर बोलते रहे हैं । बनवारी लाल सिंघल अलवर शहर से वर्ष 2008 से लगातार 2018 तक विधायक रहे हैं। दूसरा चुनाव उन्होंने करीब 62000 वोटो से जीता था ।
39 साल से सिंघल रामगढ़ में सक्रिय
अलवर शहर के पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंघल वर्ष 1985 से ही रामगढ़ में सक्रिय है । बनवारी लाल उस समय यहां से विधायक बने रघुवर दयाल गोयल के चुनाव में चर्चाओं में आए थे । विश्व हिंदू परिषद में रहते हुए भी रामगढ़ उनकी कर्म भूमि रहा । रामगढ़ में बनवारी लाल सिंघल का अच्छा खासा नेटवर्क है। सिंघल का ससुराल भी रामगढ़ में ही है। विधायक रहते हुए भी रामगढ़ में होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों में बनवारी लाल सिंघल अक्सर भाग लेते रहते थे। यही कारण है कि उपचुनाव की आहट होते ही रामगढ़ के लोगों में बनवारी लाल सिंघल के नाम पर उत्साह बना हुआ है । बताया जा रहा है की का सिंघल का मजबूत कार्यकर्ता नेटवर्क यहां भी अलवर शहर जितना ही है। भारतीय जनता पार्टी के पास सिंघल के रूप में एक मजबूत विकल्प मौजूद है जो की कांग्रेस प्रत्याशी को न केवल कड़ी टक्कर दे सकते हैं बल्कि बीजेपी के लिए 10 साल से वनवास झेल रही रामगढ़ की सीट को भाजपा की झोली में भी डाल सकते हैं।