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November 23, 2024 2:02 am


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बिजनेसमैन के बेटों ने दूसरे बिजनेसमैन की बेटी को पीटा : गमछा डांस वर्सेज बाबा के ठुमके, नेताजी को किसने किया मिठाई के लिए फोन

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

 

जयपुर। नजराना, भेंट जैसे शब्द सत्ता और सियासत में भी खूब चलन में रहे हैं, लेकिन इन शब्दों के अर्थ और व्यवहार भी उतने ही गूढ़ होते हैं। सत्ता वाली पार्टी के दफ्तर से पिछले दिनों एक पावरफुल नेताजी के पास इसी नजराने को लेकर एक फोन गया। पावरफुल नेताजी को यह सब बड़ा नागवार गुजरा। उन्होंने टॉप तक शिकायत कर दी। बस फिर क्या था सत्ताधारी पार्टी के दफ्तर में संगठन मुखिया ने सबकी जमकर क्लास लगाई और खूब हिदायतें दी। अब ये बातें छिपती थोड़े ही हैं, इसलिए खूब चटकारे ले लेकर बताई जा रही हैं।

उपचुनाव में बाबा की डांस पॉलिटिक्स

सियासत क्या-क्या नहीं करवाती। कई बार वो सब करना पड़ता है जो जनता चाहती है। नेता को भी तो यही चाहिए, जनता का अटेंशन। अगर जनता का ध्यान खिंच जाए तो भला नाचने में क्या हर्ज है? विपक्षी पार्टी के संगठन मुखिया का गमछा डांस फेमस हुआ, लेकिन सत्ता वालों ने मखौल भी खूब उड़ाया। अब सियासत में कोई सेट फाॅर्मूला तो है नहीं। दूसरे की जो चीज बुरी थी आज वो अच्छी भी तो हो सकती है। अब उपचुनाव में बाबा भी डांस पॉलिटिक्स में जमकर हाथ आजमा रहे हैं, जहां भी डीजे बजता दिखे, वहां बाबा भी ठुमके लगा ही लेते हैं। साथ में समर्थक भी पीछे नहीं रहते। अब यह डांस पॉलिटिक्स खूब चर्चाएं बटोर रही है। सियासत के सयाने गमछा डांस और बाबा के डांस के सियासी कॉम्पिटीशन की भी तुलना कर रहे हैं।

टिकट कटने के साइड इफेक्ट, कौन कर रहा आंदोलन की तैयारी

सियासत में हर क्रिया की तत्काल प्रतिक्रिया हो यह जरूरी नहीं, लेकिन कई बार आगे जाकर ऐसी प्रतिक्रियाएं हो जाती हैं, जिन्हें संभालना भारी पड़ जाता है। सत्ता वाली पार्टी के एक नेताजी का टिकट काट दिया। नेताजी ने खुलकर तो बगावत नहीं की लेकिन सयाने बता रहे हैं इस घटना ने आगे एक आंदोलन के बीज डाल दिए हैं। पुराने आरक्षण आंदोलनों के मुकदमों में समझौतों का पालन नहीं होने से लेकर लंबित मांगों को लेकर टिकट कटने वाले नेताजी के समाज के लोग अब नाराजगी दिखाने लगे हैं। इस नाराजगी को बस हवा देने भर की देर है। नेताजी गुबार भरने का इंतजार कर रहे हैं। सही समय पर आंदोलन का आगाज हो सकता है। अब सियासत में चमत्कार के बिना नमस्कार कौन करता है भला, सत्ता में नेताजी का मान सम्मान नहीं हुआ तो आंदोलन तो तय है ही।

कॉन्सर्ट में किसने की दिग्गज कारोबारियों के बेटी और बेटों की पिटाई

पिछले दिनों राजधानी में मशहूर सिंगर का कॉन्सर्ट हुआ। इस कंसर्ट में दूर-दराज के लोगों के साथ राजधानी के भी रसूखदार कारोबारी से लेकर कई दिग्गज मौजूद थे। इस कॉन्सर्ट में राजधानी के बड़े कारोबारियों के बेटे-बेटी भी थे। अब जब पैसा पहचान और रसूख एक साथ मिले तो संभालना हर किसी की बस की बात नहीं होती। कुछ ऐसा हुआ कि नशे में दिग्गज कारोबारी के बेटों ने एक दूसरे कारोबारी की बेटी की पिटाई कर दी। अब खुलेआम यह सब हुआ तो बाउंसरों ने मोर्चा संभाला और दोनों पर लात-घूसों की बारिश कर दी। यह देख वहां मौजूद दूसरे रसूखदारों ने भी हाथ दिखा दिए। बाद में पता लगा कि दोनों के परिवार परिचित हैं। किसी ने भी शिकायत नहीं की, लेकिन ऐसी बातें छिपती नहीं हैं। अंदरखाने तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।

पहले कड़क आदेश, फिर नरमी, मतलब चमत्कार को नमस्कार

पुरानी कहावत है कि सरकार के हाथ लंबे होते हैं। पिछले दिनों एक सर्कुलर ने बड़े-बड़े कारोबारियों के पसीने छुड़ा दिए। इस आदेश में इंडस्ट्रियल एरिया के आसपास और उसकी परिधि में बने हुए सभी गोदाम का स्टेटस मांगा गया था। जैसे यह लिस्ट मांगी गई सब जगह हड़कंप मच गया। बात ऊपर तक पहुंचाई गई। अनुनय विनय किया तो सरकारी महकमें के रुख में नरमी आ गई। अब इस तरह के चमत्कार दिखाने वाले काम तो हर सरकार में होते हैं, अन्यथा कौन नमस्कार करेगा। जब चमत्कार दिखाया तो बड़े-बड़े नमस्कार करने पहुंचे। तभी महकमा नरम पड़ा। गलियारों में महकमे की अचानक गर्मी और फिर नरमी के मायने निकाले जा रहे हैं।

Author: JITESH PRAJAPAT

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