सिणधरी। लंपी बीमारी के दौरान सिणधरी उपखंड क्षेत्र के कई युवाओं ने पहल करते हुए गौ सेवा करने का बीड़ा उठाया वही उससे पहले ग्रुप बनाकर गायों की सेवा की जा रही थी। दुर्घटनाओं को कम करने के उद्देश्य से भूराराम देवासी ने अपने मित्रों के साथ एक अभियान शुरू किया जिसके बाद धीरे-धीरे युवा जुड़ते गए अनाथ निराश्रित गौ सेवा ग्रुप हर समय घायल गोवंश का इलाज करने के लिए आगे आने लगे। ग्रुप के युवा साथियों द्वारा अभी तक 2000 गायों को रेडियम बेल्ट लगाए गए हैं, वही 800 से हादसों में घायल होने वाले गोवंश का रेस्क्यू किया गया।
सिणधरी उपखंड के 50 किलोमीटर दायरे में आधी रात को टीम रहती है तैयार
सिणधरी क्षेत्र में गौ रक्षक दल,अनाथ निराश्रित गौ सेवा ग्रुप के युवा साथी जिसमें 10 से 20 सदस्य जो रात भर सजक रहते हैं। कहीं पर भी सोशल मीडिया पर उपखंड क्षेत्र के 50 किलोमीटर दायरे में घायल गोवंश की जानकारी मिलते ही तुरंत मौके पर पहुंच जाते हैं। क्षेत्र में कहीं से भी कॉल आने की स्थिति में दल के सदस्य द्वारा पहुंचकर गायों का रेस्क्यू कर उसका इलाज करवाया जाता है। मुख्य रूप से दुर्घटना में रात के समय घायल होने वाली गायों का बेहतरीन तरीके से इलाज कर उसको भीनमाल ,जालौर, पथमेड़ा ,बाड़मेर, जोधपुर इत्यादिक चिकित्सालयों में पहुंचाया जाता है। जहां पर घायल गोवंश का अच्छी तरीके से इलाज करके उसको सही किया जाता है। अभी तक टीम द्वारा 2000 गायों को रेडियम बेल्ट लगाए गए जिसमें सिणधरी से लेकर सरणू, चवा, मेगा हाईवे पायला कला,सड़ा खुडाला, भूंका भगतसिंह, खारा महेचान ,अरणियाली भारत माला तक टीम के सदस्य जानकारी मिलते ही पहुंच जाते हैं।
ग्रुप के माध्यम से मिल रहे सहयोग से करवा रहे हैं इलाज
निराश्रित गौ सेवा ग्रुप के सदस्यों ने बताया कि लंपी बीमारी से पहले युवा साथियों ने पहल करते हुए ग्रुप बनाया जिसके माध्यम से भामाशाह द्वारा सहयोग किया जाता है। सहयोग के माध्यम से ही घायल गोवंश का इलाज होता है। इस दौरान पूरा खर्च वहन नहीं हो पता है तो सभी सदस्य आपस में बांटकर गायों का इलाज करवा कर उनको पशु चिकित्सा शिविरों में शिफ्ट किया जता है। सदस्य ने बताया कि अधिकतर गोवंश जो सड़कों पर लोग छोड़ देते हैं वही हादसों की शिकार होती है। बारिश के समय अधिकतर लोग गायों को सड़क पर खुला छोड़ देते हैं, जिसके चलते वह हादसे का शिकार हो जाती है।


