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September 4, 2025 3:26 pm


डिलीवरी के बाद महिला के पेट में छोड़ा टॉवल : 3 महीने दर्द से कराहती रही, आंते खराब हो गईं; कमेटी 20 दिन बाद भी नहीं कर पाई जांच

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

कुचामन। कुचामन के राजकीय चिकित्सालय में सिजेरियन प्रसव के दौरान डॉक्टरों ने गंभीर लापरवाही बरती। ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट (एब्डोमेन) में 15×10 सेंटीमीटर का टॉवल (मेडिकल गॉज) छोड़ दिया। टॉवल पेट में ही छोड़ने के बावजूद महिला के टांके लगा दिए गए। प्रसव के बाद से ही महिला तेज पेट दर्द से जूझती रही। परिजनों ने सरकारी और प्राइवेट समेत आस पास के इलाके के कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन, कोई फर्क नहीं पड़ा। अजमेर अस्पताल के डॉक्टरों ने तो पेट में गांठ बता कर दवाएं भी शुरू कर दी। इसके बावजूद कोई फर्क नहीं हुआ तो परिजन महिला को लेकर जोधपुर एम्स पहुंचे। गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में सिटी स्कैन के जरिए महिला के पेट में एक वस्तु (फॉरिन बॉडी) की पुष्टि हुई। अब परिजनों ने संबंधित डॉक्टर और ऑपरेशन टीम के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया है। वहीं मामला सामने आने के बाद 5 नवंबर को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डीडवाना ने टीम गठित की। जिसे भंग कर कमेटी पुर्नगठित की गई, लेकिन 20 दिन बाद भी अभी तक मामले में कोई जांच और कार्रवाई नहीं हुई। परिजनों की ओर से जोधपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है।

3 महीने तक इलाज के लिए भटकते रहे परिजन

महिला के पति पवन कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी चंचल कंवर (26) का सीजेरियन ऑपरेशन 1 जुलाई 2024 को कुचामन के जिला अस्पताल में डॉक्टर हरेंद्र नेत्रा और उनकी टीम ने किया था। ऑपरेशन के बाद उन्हें 10 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, लेकिन पेट दर्द लगातार बना रहा। पेट दर्द कम नहीं होने पर परिजनों ने विशेषज्ञों से सलाह ली, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद आसपास के कई अस्पतालों में दिखाया। अजमेर के अस्पताल में पेट में गांठ बता कर दवाइयां शुरू कर दी।

सर्जरी में निकला मेडिकल गॉज

पति ने बताया- इस बाद भी भी आराम नहीं मिला तो एम्स जोधपुर में दिखाया। यहां सिटी स्कैन के दौरान पेट में फॉरेन बॉडी होने की जानकारी मिली। इसके बाद 17 अक्टूबर को सर्जरी की गई। सर्जरी के दौरान पता चला कि ऑपरेशन के दौरान पेट में एक बड़ा मेडिकल गॉज छोड़ दिया गया था। यह गॉज तीन महीने तक पेट में रहने के कारण आंतों को गंभीर नुकसान पहुंचा, जिससे उसकी हालत नाजुक हो गई थी।

यह टॉवल आंतों से चिपका हुआ था, जिससे आंतें बुरी तरह खराब हो गईं। तीन महीने तक लगातार दर्द निवारक दवाएं लेने के कारण अन्य अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इसके बाद डॉक्टरों और उनकी टीम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है।

नवजात पी रहा बाहरी दूध

पति ने बताया- पेटदर्द और कम खाने के कारण पीड़िता के शरीर में दूध का उत्पादन बेहद कम हो गया। नतीजतन, नवजात को जन्म से ही बाहरी दूध पिलाया जा रहा है। आंतों को हुए नुकसान के चलते महिला की पाचन क्रिया प्रभावित हुई है। एम्स के डॉक्टरों ने अगले तीन-चार महीने तक लिक्विड डाइट और हल्का आहार लेने की सलाह दी है।

CMHO ने बनाई जांच कमेटी

मामले में कलेक्ट्रेट से मिली शिकायत पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डीडवाना-कुचामन ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। कमेटी में डॉ. संदीप, डॉ. गोपाल ढाका, और डॉ. राजवीर शामिल किया गया। इसके बाद पुरानी कमेटी को भंग कर डीडवाना हॉस्पिटल में नई कमेटी बनाई गई। जिसमें जिसमें अध्यक्ष मेडिकल ज्युरिस्ट डॉ. अभिषेक मीणा, एनेस्थीसिया डॉ. संदीप, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कानाराम, सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. अम्बराव वेदप्रकाश शामिल हैं।

जांच कमेटी ने ऑपरेशन के डॉक्युमेंट्स मांगे

जांच कमेटी के अध्यक्ष डॉ. अभिषेक मीणा ने बताया कि सीएमएचओ के आदेश पर कमेटी का गठन किया गया है। इसमें कुचामन अस्पताल और जोधपुर एम्स अस्पताल से इलाज से संबंधित सभी दस्तावेज की कापी मांगी गई है, ताकि मामले की आगे की जांच की जा सके। इस संबंध में कुचामन थाने को भी सूचित किया गया है, लेकिन अब तक आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। CHMO को लिखित में अवगत कराया गया है और जांच के लिए ट्रीटमेंट रिपोर्ट मांगी गई है। डीडवाना के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिल जूडिया ने बताया कि कलेक्ट्रेट से सूचना मिलने के बाद पहले 5 नवंबर को जांच कमेटी का गठन नावां अस्पताल से किया गया था। इसके बाद एक कमेटी के एक चिकित्सक को APO कर दिया था। इसके कारण कमेटी को बदलकर डीडवाना में पुनर्गठित किया गया। डीडवाना की नई कमेटी के सदस्यों ने अब मामले से संबंधित सर्टिफाइड कॉपी (डॉक्यूमेंट्स) की मांग की है, लेकिन अभी तक संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं हो पाए हैं।

जोधपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर

एडवोकेट सरवर खान ने कहा कि पीड़िता की ओर से इस मामले में विभिन्न विभागों में कई बार शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने बताया कि इस मामले में जोधपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें जांच कमेटी में एम्स जोधपुर के डॉक्टर को सदस्य के रूप में शामिल करने की मांग की गई है। ताकि कार्रवाई जल्द से जल्द हो और पीड़िता को न्याय मिल सके। वहीं मामले में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और मानवाधिकार आयोग में दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की शिकायत की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

Author: JITESH PRAJAPAT

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