जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रतिकूल पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट अपने आप में किसी नागरिक को पासपोर्ट लेने के उसके कानूनी अधिकार से वंचित नहीं कर सकती। पासपोर्ट अथॉरिटी एडवर्स (नेगेटिव) पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट मानने के लिए बाध्य नहीं है। हाईकोर्ट ने पासपोर्ट अथॉरिटी को यह छूट दी है कि अपने स्तर पर छानबीन के बाद यदि किसी मामले में उसे कानून के हिसाब से गलत लगे तो वह अपने हिसाब से फैसला करने को स्वतंत्र है। जस्टिस अनूप ढंड की एकल पीठ ने जयपुर निवासी सावित्री शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए।
पासपोर्ट रिन्यूअल पर 8 सप्ताह में फैसला ले
अदालत ने केंद्र सरकार और पासपोर्ट अधिकारी को कहा है कि वह याचिकाकर्ता के पासपोर्ट के नवीनीकरण (रिन्यूअल) के आवेदन को 8 सप्ताह में तय करे। अदालत ने पासपोर्ट विभाग को छूट दी है कि यदि मामले में कुछ प्रतिकूल मिले तो वे विधि अनुसार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है।
पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट पर आवेदन किया था रिजेक्ट
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट राकेश चंदेल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का पासपोर्ट मई, 2022 तक वैध था। ऐसे में उसने पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए अप्लाई किया, लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट में संदेह होने पर उसका आवेदन अस्वीकार कर दिया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए पासपोर्ट नवीनीकरण का आग्रह किया गया। इसके जवाब में विभाग की ओर से वकील मनजीत कौर ने बताया कि क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस, नई दिल्ली ने याचिकाकर्ता की पुलिस सत्यापन जांच करवाई थी। इसमें उसकी राष्ट्रीयता संदेहपूर्ण और नेपाली आई। इस रिपोर्ट पर ही उसके पासपोर्ट का नवीनीकरण नहीं किया। इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके दादा नेपाल में रहते थे, लेकिन उसका जन्म भारत में हुआ है। उसकी शादी 2017 में यहीं हुई है। उसके दो बच्चे हैं और वह भारत की नागरिक है। इसलिए केवल पुलिस की प्रतिकूल जांच रिपोर्ट पर उसके पासपोर्ट के नवीनीकरण से मना नहीं कर सकते। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस जांच रिपोर्ट के प्रतिकूल होने मात्र से पासपोर्ट से वंचित नहीं करने को कहा है।