झालावाड़। जिले में विटामिन-ए की कमी के कारण बच्चों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त प्रयासों और सहयोग से जिले में विटामिन-ए की खुराक पिलाने का अभियान शुक्रवार से शुरू हो गया है। यह अभियान 29 दिसम्बर तक लगातार चलेगा। इस अभियान में झालावाड़ जिले के 1 लाख 50 हजार 712 बच्चों को विटामिन-ए की खुराक पिलाने का लक्ष्य राज्य स्तर से प्राप्त हुआ है। उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अरविन्द कुमार नागर ने बताया कि यह दवा हर 6 महीने के अन्तराल पर पिलाई जाती है। जो बच्चों के विकास वृद्धि में अति आवश्यक है। जो बचपन में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए प्रभावी है। विटामिन के जरिए पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में भी कमी आती है। इस दौरान एक से पांच वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आँगनबाड़ी कार्यकर्ता 2 एमएल विटामिन-ए की खुराक और 9 महीने के बच्चों को एक एमएल खुराक पिलाई जाएगी। जहां आंगनबाड़ी केन्द्र नहीं हैं, वहां एएनएम और सीएचओ बच्चों को खुराक पिलाएंगे।
आमजन को किया जा रहा जागरूक
सीएमएचओ डॉ. साजिद खान ने बताया कि विटामिन-ए अभियान के तहत शत-प्रतिशत लक्षित वर्ग के बच्चों को खुराक पिलाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है। साथ ही जिले के सभी बीसीएमओ और चिकित्सा अधिकारी प्रभारियों को अभियान के लिए निर्देश दिए गए हैं। आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया, समाचार पत्र और आशा द्वारा घर-घर जाकर आमजन को जागरूक किया जा रहा है। विटामिन-ए की खुराक जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्र, सब सेन्टर, पीएचसी, सीएचसी, यूपीएचसी, उपजिला और जिला अस्पताल में पिलाई जा रही है।
विटामिन-ए की कमी से हो सकती हैं कई समस्याएं
सीएमएचओ ने बताया कि विटामिन ए की कमी से रतौंधी हो सकती है और आंखों में सूखापन, जलन और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसकी कमी से त्वचा रूखी, पपड़ीदार और खुजली वाली हो सकती है। एक्जिमा जैसी त्वचा की समस्याएं भी हो सकती हैं। वहीं विटामिन ए प्रजनन तंत्र के लिए अहम होता है। इसकी कमी से गर्भधारण में परेशानी हो सकती है। बच्चों में विटामिन ए की कमी से विकास में देरी हो सकती है। विटामिन ए की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन ए कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा देता है। जो त्वचा के स्वास्थ्य और कोशिकाओं के पुनर्जनन के लिए जरूरी है। इसलिए चोट या सर्जरी के बाद घाव भरने में देरी हो सकती है।