जयपुर। राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण अभियान और यूनिसेफ के बैनर तले विकास अध्ययन संस्थान में एक वर्कशॉप हुई जिसमें सपोर्ट फाऊंडेशन फॉर ऑटिज्म एंड डेवलपमेंटल डिसेबिलिटीज संस्था सह संयोजक थी।राज्य के विभिन्न जिलों से आए लगभग 100 से अधिक दृष्टि बाधित, श्रवण बाधित, शारीरिक दिव्यांग, ऑटिज्म और बौद्धिक दिव्यांगों के अभिभावकों ने अपने मुद्दों पर चर्चा की जिन्हें मांग पत्र में शामिल किया गया। यूनिसेफ एवं संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के प्रतिनिधियों ने इस परिचर्चा में इन मुद्दों को समझा और अपनी बात रखी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर पल्लवी शर्मा और न्यायालय विशेष योग्यजन कमिश्नर उमाशंकर शर्मा रहे । जिन्हें दिव्यांगों द्वारा दिए गए मांग पत्र को कार्यशाला संयोजक विजय गोयल और प्रतिभा भटनागर द्वारा सौंपा गया। इसमें दिव्यांगों के लिए बने नियमों की पालना ठीक तरीके से हो इसके लिए विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा एक मॉनिटरिंग कमेटी की मांग के साथ विकलांगता प्रमाण पत्र बनने की कठिनाइयों को दूर करना, राज्य में एक हेल्पलाइन और वन स्टॉप सॉल्यूशन सेंटर, दिव्यांगों के प्रति जागरूकता अभियान , दिव्यांग कर्मचारियों को रीजनेबल अकोमोडेशन, पैरा खिलाड़ियों को समान अधिकार, ऑटिज्म एवं बौद्धिक दिव्यांगों के लिए विशेष कौशल प्रशिक्षण दिए जाने, श्रवण बाधितों के लिए दुभाषिए पर्याप्त विशेष शिक्षक जैसी मांगे शामिल थी।
राज्य आयुक्त द्वारा इन महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 की राज्य में बेहतर तरीके से पालन सुनिश्चित हो इस पर संज्ञान लिए जाने का भरोसा दिया गया। पल्लवी शर्मा द्वारा दिव्यांगों को अपने प्रकरणों में आवश्यक मदद उपलब्ध कराने हेतु प्राधिकरण के पैनल लॉयर न्यायालय विशेष योग्यजन में ही भेजे जाने का आश्वासन दिया गया। इस कार्यक्रम में इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान के उपनिदेशक डॉक्टर आकाश अरोड़ा, , नेहरू युवा केंद्र शरद त्रिपाठी द्वारा दिव्यांगों के लिए बाधामुक्त वातावरण बनाने में समाज की सोच बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। सभी को धन्यवाद देते हुए कार्यशाला का समापन किया गया।