जयपुर। हाई कोर्ट ने हाथ पर रिमूवल टैटू (टैटू मिटाने के बाद रहे निशान) होने के चलते पैरामिलिट्री फोर्सेज भर्ती से बाहर किए गए अभ्यर्थी को फिर से भर्ती में शामिल करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने दिलखुश बैरवा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए। याचिका में कहा गया था कि अभ्यर्थी के दाहिने हाथ पर उसके माता-पिता ने बचपन में उसका नाम गुदा दिया था। भर्ती में शामिल होने से पहले उसने मेडिकल सर्जरी के जरिए अपने हाथ पर बने टैटू को हटवा भी लिया। लेकिन उसके हाथ पर टैटू के कुछ निशान रह गए। जिसके कारण उसे मेडिकल में अनफिट करार देते हुए बाहर कर दिया गया।
एक पोस्ट खाली करने के लिए कहा
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुनील कुमार सैनी ने बताया कि याचिकाकर्ता ने सेन्ट्रल ऑर्म्ड पुलिस फोर्सेज (सीएपीएफ) में कांस्टेबल जीडी की पोस्ट के लिए अप्लाई किया था। कम्प्यूटर बेस टेस्ट, फिजिकल पास करने के बाद उसे डॉक्यूमेंट्स वैरिफिकेशन में भी सही पाया गया।
लेकिन उसके बाद हुए मेडिकल टेस्ट में उसे यह कहते हुए बाहर कर दिया गया कि उसके दाहिने हाथ पर टैटू के निशान हैं। वहीं सीएपीएफ की ओर से कहा गया कि हमारी गाइडलाइन में साफ दिया हुआ है कि दाहिने हाथ पर किसी भी तरह का टैटू नहीं होना चाहिए।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता के यह टैटू बचपन में इसे माता-पिता ने लिखवा दिया था। उस समय इन्हें गाइडलाइन का पता हो ऐसी संभावना नहीं हो सकती है। वहीं याचिकाकर्ता ने टैटू को मिटाने का भी प्रयास किया है। इसलिए केवल इसी आधार पर इसे भर्ती से बाहर करना उचित नहीं होगा।
अदालत ने याचिकाकर्ता को भर्ती में प्रोविजनली शामिल करते हुए उसके लिए एक पोस्ट खाली रखने के निर्देश दिए। वहीं उसका अंतिम परिणाम बंद लिफाफे में कोर्ट में पेश करने के लिए भी कहा हैं।
यह है टैटू को लेकर गाइडलाइन
अर्द्धसैनिक बलों में टैटू को लेकर जो गाइडलाइन है, उसके अनुसार आप देश, धर्म और अपना नाम व चिन्ह बाएं हाथ औऱ शरीर के उस हिस्से में लिखवा सकते है, जो दिखाई ना देता हो। वहीं टैटू की साइज शरीर के हिस्से से एक चौथाई ही हो सकती हैं। लेकिन सैल्यूटिंग हैंड (दाहिने हाथ) पर किसी भी तरह का टैटू नहीं होना चाहिए।