चित्तौड़गढ़। जिले के महिला एवं शिशु हॉस्पिटल में 17 दिसंबर को मिले शिशु को आज सोमवार को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया। बच्चे को अब शिशु गृह में शिफ्ट किया गया है। बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। उसका वजन 2 किलो 925 ग्राम है। अब शिशु गृह में ही उसकी देखभाल की जाएगी। यह बच्चा पालना गृह में मिला था इसलिए सुरक्षित छोड़ने के कारण माता-पिता पर कोई केस नहीं किया जाएगा। वहीं, इस समय शिशु गृह में 3 बालिकाएं और 3 बालक है।
स्वस्थ है बच्चा, जांचे भी नॉर्मल
एसएनसीयू प्रभारी और शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ.जयसिंह मीणा ने बताया कि 17 दिसंबर को रात 11 बजकर 50 मिनट पर पालना गृह में कोई बच्चे को रख कर चला गया था। नवजात को एसएनसीयू में भर्ती किया गया। उस समय भी बच्चा बिल्कुल फिट था। उसने दूध लेना भी शुरू कर दिया था। मदर मिल्क बैंक से पीडीएचएम से शिशु को हर तीन-तीन घंटे में दूध पिलाया जा रहा है। 30 एमएल की मात्रा में दूध दिया जा रहा है। बीच में 60 एमएल भी दिया गया है। जरूरत के हिसाब से दूध सही मात्रा में दिया जा रहा है। बच्चे के टेस्ट किए गए तो सब सही मिला इसलिए उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया।
पालना गृह में छोड़ने के कारण माता-पिता पर नहीं करेंगे केस
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष प्रियंका पालीवाल ने बताया कि 17 दिसंबर को जिला हॉस्पिटल के महिला एवं बाल चिकित्सालय से रात 12 बजे जानकारी मिली कि पालना गृह में एक बच्चे को रखा गया है। बच्चे का इलाज एसएनसीयू प्रभारी डाॅ.जयसिंह मीणा के निर्देशन में हुआ। बालक स्वस्थ है। आगे की कार्रवाई बाल कल्याण समिति ही करेंगी। शिशु गृह में इसकी देखभाल की जाएगी। फिलहाल शिशु गृह के लिए बाल शिशु गृह के अधीक्षक को बच्चा सौंप दिया गया है। उसका वजन 2 किलो 925 ग्राम है। सुरक्षित छोड़ने के कारण कोई लीगल एक्शन नहीं लिया जाएगा। लीगल फ्री करने के लिए लगभग एक साल का समय लगता है। उसके बाद बच्चों के एडॉप्शन प्रक्रिया शुरू कर देते हैं। हॉस्पिटल में बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष के अलावा सदस्य सीमा भारती, शिवदयाल लखावत, नीता लोठ, ओमप्रकाश लक्ष्कार सहित नर्सिंग स्टाफ और आया मौजूद थे।
सुरक्षित देवे बच्चे को, नहीं होगी लीगल कार्रवाई
बाल शिशु ग्रह के अधीक्षक के जीनगर ने बताया कि अभी शिशु ग्राम में कुल 6 बच्चे हैं उसमें तीन लड़का और तीन लड़की है। दो दो आया 8 घंटे की ड्यूटी पर रहती है। हर हफ्ते शिशु रोग विशेषज्ञ अमित श्रीवास्तव उनका चेकअप करने आते हैं। हर समय नर्सिंग स्टाफ भी मौजूद रहता है ताकि बच्चों को किसी तरह से कोई तकलीफ ना हो। बच्चों को कब कोई भी दूध नहीं दिया जाता है, उन्हें सिर्फ मदर मिल्क बैंक का ही दूध पिलाया जाता है।
उन्होंने बताया कि अभी चित्तौड़गढ़ जिले में दो पालना गृह जिला मुख्यालय पर और एक पालना गृह निंबाहेड़ा जिला अस्पताल में है। जिला मुख्यालय पर एक पालना गृह महिला एवं शिशु हॉस्पिटल में और एक बाल कल्याण समिति, पंचवटी में है। उन्होंने कहा कि मैं अपील करना चाहता हूं कि बच्चों को कभी किसी असुरक्षित जगह पर ना छोड़ा जाए। बच्चों को अगर छोड़ना ही है तो उन्हें सुरक्षित रूप से पालना गृह में रख कर चले जाए। उनके ऊपर कोई भी लीगल केस नहीं किया जाएगा। असुरक्षित रूप से छोड़ने पर माता-पिता पर केस किया जाता है और जांच होने पर माता-पिता का पता लगने पर उन्हें जेल तक भी जाना पड़ सकता है। कोई अगर हमारे हाथ में भी सौंप के जाना चाहे तो वह सौंप सकता है। उनका नाम गोपनीय ही रखा जाएगा।
जनवरी के बाद अब दिसंबर महीने मिला बच्चा
महिला एवं बाल हॉस्पिटल की एसएनसीयू में बीते 16 सालों में 32 शिशुओं को भर्ती किया गया। इसमें से 29 शिशु स्वस्थ होकर बाल कल्याण समिति को सौंप दिए गए। अन्य दंपतियों को गोद दे चुके हैं। इस साल पालना गृह में तीन बच्चे मिले थे। जिनमें जनवरी महीने में दो बच्चे पालना में पाए गए थे। इसके बाद सीधे दिसंबर महीने में एक बच्चा पालना में पाया गया है।