टोंक। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य निरुपम चकमा मंगलवार को टोंक के समरावता गांव में पहुंचे। जहां विधानसभा उपचुनाव के दौरान हुए उपद्रव को लेकर कई घरों में हुई तोड़फोड़ को देखा। लोगों से बातचीत की। लोगों ने अपना दर्द बयान करते हुए उन पर अंग्रेजों की तरह जुल्म ढहाने की बात कही।
लोगों ने कहा कि पुलिस ने घरों में घुसकर मारा है। आंसू गैस के गोले छोड़े, हवाई फायरिंग की। पुलिस के लाठी चार्ज से बचने के लिए कोई मकानों की छतों से कूदा तो कोई पास के तालाब में कूद गया।
महिलाओं को भी नहीं बख्शा
लोगों ने चकमा को बताया कि महिलाओं को भी नहीं बख्शा। उनके शरीर में आज भी चोटों के निशान है। इस दौरान लोगों ने पुलिस मारपीट से आई चोटों के निशान दिखाए। लोगों ने आग से जले वाहनों, मवेशी आदि के फोटो, वीडियो भी उन्हें दिखाते हुए दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की। आयोग के सदस्य चकमा ने लोगों को इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करवाने का आश्वासन दिया। निरुपम चकमा के साथ के सी घुमरिया, हाईकोर्ट के एडवोकेट पवन खरेड़ा आदि मौजूद थे।
मीणा अधिवक्ता संघ ने दिया ज्ञापन
उधर समरावता के बाद वापस सर्किट हाउस पहुंचने पर आदिवासी मीणा अधिवक्ता संघ ने भी समरावता में ग्रामीणों के साथ की गई बर्बरता के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट वीरेंद्र मीणा समेत महेंद्र मीणा, हाईकोर्ट के एडवोकेट लाखन सिंह मीणा ने बताया कि इस मामले नरेश मीणा और ग्रामीणों के खिलाफ एक तरफा कार्रवाई की गई है। अभी तक आचार संहिता का उल्लंघन कर वोट दिलाने वाले SDM के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
समरावता घटना नहीं होनी थी
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य निरुपम चकमा ने सर्किट हाउस से दिल्ली लौटते समय मीडिया से बातचीत में कहा – यह घटना नहीं होनी थी। इसमें दोनों पक्ष में सांमजस्य कम रहा। इसे टाला जा सकता था। दो दिवसीय दौरे के दौरान प्रशासन, पुलिस और दूसरे पक्ष ग्रामीणों का पक्ष जाना है। आज दूसरे दिन समरावता गया। जहां लोगों ने घटना को लेकर सबूत दिए है। कुछ ने लिखित में शिकायत दी है। इस मामले में निष्पक्ष रिपोर्ट आगे दी जाएगी।