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March 14, 2025 10:54 am


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जापानी तकनीक की तरह राजस्थान में सघन पौधरोपण : वन मंत्री संजय शर्मा बोले – अगले साल 10 करोड़ लगाएंगे, सरिस्का में टाइगर का जीन बदलेंगे

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

अलवर। राजस्थान में साल 2024 में 7 करोड़ पौधे लगाए गए। वहीं 2025 में 10 करोड़ पौधे लगाने का सरकार का लक्ष्य है। बीते साल में अकेले अलवर जिले में 58 लाख पौधे लगे हैं। खास बात यह है कि प्रदेश व अलवर में जापानी तकनीक की तरह सघन पौधरोपण का पैटर्न आगे बढ़ा है। वन मंत्री संजय शर्मा भी इस थ्योरी को मान रहे हैं कि सघन पौधे लगाने से पौधों में भी आगे बढ़ने का काॅम्पीटिशन रहता है। इस थ्योरी को जापान भी मानता है और यह सक्सेसफुल भी है। इसके अनुसार प्रदेश बड़ी संख्या में सघन पौधरोपण हुआ है। आने वाले साल में सरिस्का में टाइगर का जीन बदलने के लिए उत्तराखंड व महाराष्ट्र से फीमेल टाइगर लाने की तैयारी पूरी हो गई है। जिससे सरिस्का में टाइगर का कुनबा बढ़ेगा। अलवर शहर में कटी घाटी में बाड़ों में सांभर, टाइगर, लेपर्ड व हरिन सहित अन्य वन्यजीव बॉयोलॉजिकल पार्क में नजर आएंगे।

इतना सघन पौधरापेण अभियान का मकसद क्या है?

हम देख रहे हैं प्रदूषण बड़ी चुनौती है। उससे लड़ने के लिए पौधरोपण जरूरी है। देश के प्रधानमंत्री के अभियान के साथ मैंने एक पेड़ मां के नाम अभियान शुरू किया। सीएम भजनलाल ने वन मंत्रालय का जिम्मा मुझे दिया। 17 जनवरी 2024 को कार्यभार संभाला था। वहां पहला पौधा सचिवालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास लगाया था। एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर 366 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा था। अलवर शहर में मूंगस्का नर्सरी में 500 पौधे लगाए हैं।

पिछले एक साल में कितने पौधे लग चुके हैं?

वन विभाग एवं अन्य सरकारी व एनजीओ की ओर से प्रदेश में पिछले साल 7 करोड़ पौधे लगे हैं। अलवर जिले में 58 लाख पौधे लगे हैं। अब इस साल में 10 करोड़ पौधे लगाएंगे।

सघन पौधरोपण की वजह क्या है? ये क्या तकनीक है?

देखिए, जापानी तकनीकी में तो एक से डेढ़ फुट पर पौधे लगाए जाते हैं। वहां ड्रिप इरिगेशन से पानी देते हैं। वह काफी सक्सेसफुल है। हम तो फिर भी कुछ दूरी पर पौधरोपण करते आ रहे हैं। आगे अलवर शहर में प्रतापबंध से लेकर बालाकिला तक सड़क का निर्माण होगा। वहां पर फ्लॉवर वैली के रूप में विकसित किया जाएगा। ताकि वहां जाने वाले टूरिस्ट को बड़ा फायदा मिल सके। जिससे शहर का वातावरण भी बनेगा।

सरिस्का पर देश की निगाहें रहती है। आने वाले साल में सरिस्का में क्या नया हम देखने वाले हैं?

साल 2004 सरिस्का बाघविहीन हो गया था। अब हमारे यहां 43 बाघ हो गए थे। एक बाघ को शिफ्ट किया है। यहां फीमेल टाइग्रेस की जरूरत है। हम उत्तराखंड व महाराष्ट्र से बाघिन लाने की कोशिश में हैं। जिसके लिए एनटीसीए की अनुमति मिल चुकी है। जल्दी टाइग्रेस सरिस्का आएंगी। जिससे जीन की समस्या दूर होगी और टाइगर के कुनबे में बढ़ोत्तरी होगी। इसके अलावा अलवर शहर में कटी घाटी क्षेत्र में बायोलॉजिकल पार्क विकसित किया गया है। पिंजरों की बजाय टाइगर को खुले में रहेंगे। घड़ियाल, टाइगर, लेपड, पेंथर सहित तमाम जानवर वहां दिखेंगे। वहां लाइन सफारी का काम भी शुरू हो गया है।

सुबह उठते ही नाश्ता करने की बजाय क्या पौधा लगाने चिंता होती है?

मैंने सिक्किम, तिरुपती बालाजी, काउंबटूर सहित प्रदेश से बाहर अनेक जगहों पर जहां भी गया वहां भी सबसे पहले पौधरोपण करने की प्लानिंग की है।

आपकी भविष्य की क्या प्लानिंग है?

पांच साल में राजस्थान हरियाली के रूप में जाना जाए। जैसे पहले रेगिस्तान के रूप में जाना जाता था। यहां किसी भी रूप में लगने वाले पौधे सुरक्षित रहें। हम सब मिलकर मां-बेटे की तरह पौधों का लालन पालन करेंगे। यह आने वाली पीढ़ी के लिए बड़ी सौगात होगी।

मंत्रियों की तरह आपका रुतबा नहीं है। क्या मंत्री व सांसद को सुरक्षा की जरूरत नहीं है या आपने चर्चा में रहने के लिए सुरक्षा नहीं ले रखी है?

जिस पार्टी में पला पढ़ा और जिस संगठन से संस्कार मिले। उसमें यह आवश्यक नहीं है कि सरकारी तामझाम की जरूरत हो। जनता ही वोट की बदौलत बड़ी से बड़ी पंचायत में भेजती है। हम मतदाता भाई बहन की तरह हैं। मतदाता ही बड़ी से बड़ी पंचायत में भेजता है। यह खुद को तय करना है हमें किस रूप में रहना है। सरकारी साधन की इतनी जरूरत नहीं है।

हमारी पार्टी के कार्यकर्ता सब साधन सम्पन्न है। धर्यवान व विवेकशील है। मैं यही चाहता हूं कि इश्वर ने सबको ताकत दी है। अहम मेरे में ऊपर अहम सिर चढ़कर नहीं बोला है। बस यही साधारणता बनी रहे। मैं यही चाहता हूं कि मेरी वजह से किसी को ठेस नहीं पहुंचे।

Author: JITESH PRAJAPAT

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