बांसवाड़ा। जिले में राजसेस के अधीन सरकारी कॉलेजों में सहायक आचार्यों के नहीं होने के चलते पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसके चलते कॉलेजों में 40 से ज्यादा सहायक आचार्य की जरूरत पर फिर विद्या संबल योजना का आसरा लिया जा रहा है। गौरतलब है कि बांसवाड़ा जिले में छोटी सरवन, आनंदपुरी, गढ़ी- परतापुर, सज्जनगढ़ और गांगडतलाई के राजकीय महाविद्यालय व कृषि महाविद्यालय बोरवट में पढ़ाने को सहायक आचार्य नहीं होने से हर साल गेस्ट फैकल्टी से काम चलाया जा रहा है। इस बार फिर वही स्थिति बनने पर आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा के पत्र की अनुपालना में सरकार की विद्या सम्बल योजना में के अंतर्गत इन सभी कॉलेजों में अनुभवी विषयाध्यापकों को 800 रुपए प्रति कक्षा मानदेय पर बजट की उपलब्धता की शर्त पर गेस्ट फैकल्टी की कवायद शुरू की गई है।
ग्रामीण क्षेत्र के इन कॉलेजों के अलावा राजसेस के अधीन श्रीगोविंद गुरु महाविद्यालय में स्नातकोत्तर कक्षाओं के चल रहे विषयों उर्दू, इतिहास (स्नातकोत्तर) और हरिदेव जोशी राजकीय कन्या महाविद्यालय में भूगोल, प्राणीशास्त्र, रसायनशास्त्र, एबीएसटी, ईएएफएम, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के सहायक आचार्य भी नहीं होने पर यहां भी गेस्ट फैकल्टी में सहायक आचार्य लगाने पड़ रहे हैं।
सभी कॉलेजों में हैं रिक्त पद
राजसेस के अधीन राजकीय महाविद्यालय, छोटी सरवन में हिंदी, अंग्रेजी, भूगोल, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, संस्कृत, इतिहास, राजकीय महाविद्यालय, आनंदपुरी में हिंदी, अंग्रेजी, भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, संस्कृत, इतिहास, राजकीय महाविद्यालय, गढ़ी परतापुर में हिंदी, अंग्रेजी, भूगोल, राजनीति विज्ञान, चित्रकला, संस्कृत् इतिहास, राजकीय महाविद्यालय, सज्जनगढ़ में अर्थशास्त्र, भूगोल, राजकीय महाविद्यालय, गांगडतलाई में हिन्दी, अंग्रेजी, भूगोल, समाजशास्त्र, संस्कृत, इतिहास, राजनीति विज्ञान के सहायक आचार्य नहीं हैं। इसके साथ ही कृषि महाविद्यालय, बोरवट में भी शस्य विज्ञान, उद्यान विज्ञान, पौध प्रजनन एवं आनुवांशिकी, कृषि अर्थशास्त्र, कृषि सूचना विज्ञान, कृषि अभियांत्रिकी, पशुपालन एव दुग्ध विज्ञान, कीट विज्ञान व पोषण एवं खाद्य विज्ञान नौ विषयों को पढ़ाने वाले नहीं है।
इनका कहना है
कॉलेजों में रिक्त सहायक आचार्य के पदों पर एक साथ नियुक्तियां होनी है। इसके लिए 30 जनवरी तक गेस्ट फैकल्टी में आवेदन आमंत्रित किए हैं। व्यवस्था पूर्णतः अस्थायी और अधिकतम 24 सप्ताह या पाठ्यक्रम पूर्ण होने तक के लिए है।