बारां। जिले में एक प्रसूता की मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। पुलिस ने धरना-प्रदर्शन करने वाले डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया है, जिससे सर्व समाज में आक्रोश बढ़ गया है। उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
घटना 25 जनवरी की है, जब कनिका शर्मा नाम की महिला की जिला अस्पताल में कथित चिकित्सकीय लापरवाही के कारण मृत्यु हो गई। अगले दिन जब परिजन शव को कोटा से बारां ला रहे थे, तब अंता में पुलिस ने एम्बुलेंस को रोक लिया और तीन पुलिसकर्मी जबरन एम्बुलेंस में बैठ गए।
विप्र फाउंडेशन के बैनर तले सर्व समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था और कहीं भी जाम नहीं लगाया गया, लेकिन पुलिस ने पत्थरबाजी का झूठा आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कर दिया। पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने मृतका के पूरे परिवार को ही अपराधी बना दिया है।
सर्व समाज के प्रतिनिधियों ने कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर मामले की उच्च स्तरीय जांच और झूठे मुकदमों को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
बारां बार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष कमलेश दुबे का कहना था कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते किसी की बेटी-बहू की मौत हो गई, लेकिन पुलिस व डॉक्टर ने उस दिन लंबे समय तक सही जवाब नहीं दिया गया। अन्त मे आनन फानन मृतक अवस्था में कोटा रेफर कर दिया गया। जब शव को कोटा से लाया गया तो पुलिस प्रशासन ने एम्बुलेंस को हाईजैक कर लिया गया। यह एक बहुत बड़ी निंदनीय घटना है। एक पीड़ित परिवार को न्याय देने के बजाय पुलिस ने परिवार को ही झूठे मुकदमों में उलझाने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने मांग कि प्रसूता की मौत के मामले में उच्च स्तरीय जांच हो ओर लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई हो। साथ ही परिवार ओर अन्य लोगों पर लगाए गए झूठे मुकदमे में एफआर लगाई जाए। अन्यथा लोगों की ओर से उग्र आंदोलन किया जाएगा।
ज्ञापन के दौरान विप्र फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष कपिल शर्मा, प्रशांत भारद्वाज, गिरिराज शर्मा, भगवान शर्मा, ओम भारद्वाज, लोकेश शर्मा, प्रदीप विजयवर्गीय, योगेश गौतम, निशांत तिवारी, अंशुल व्यास, पीयूष उपाध्याय, अंकित शर्मा समेत अन्य मौजूद रहे। वहीं, बारां भाजपा जिला अध्यक्ष नंदलाल सुमन ने बताया कि, सबसे पहले उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर जांच हो की जाए। विरोध प्रदर्शन करना स्वाभाविक प्रक्रिया है, जब किसी परिवार को दु:ख होता है तो पीड़ा को दिखाना वाजिब है। हम इस तरह दर्ज किये गए मुकदमों की निन्दा करते हैं।