आपके पुत्र भी आपको दु:ख देंगे अगर आपने दिया है तो… जैसी करनी वैसी भरनी – आचार्य केदार
शाहपुरा (किशन वैष्णव)। कर्म ही प्रधान है जो जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल उसे मिलता है। होता वही है जो परमात्मा चाहते है, मनुष्य परमात्मा के किए,पर तर्क,वितर्क किस बात का करे। संस्कार व सकारात्मक विचारों से घर स्वर्ग के समान बनता है। मनुष्य को रोजाना श्रीकृष्ण शरणम् मम का जाप करना चाहिए। ईश्वर का नाम घर की शोभा व संस्कार बढ़ाने के काम आता है।जंजीर सोने की हो या लोहे की,काम उसका बांधना होता है। इसी प्रकार हम भी मोह-माया को त्याग कर ईश्वर के भजन कीर्तन में बंध जाए तो ही हमारा कल्याण होगा,लेकिन मनुष्य मोह-माया में बंधा हुआ है।
आजकल की नई पीढ़ी अपने माता पिता और पूर्वजों द्वारा दिए संस्कार भूलने के मार्ग पर चल रही है समय बहुत बदल गया है। अपने जन्म देने वाले माता पिता को कभी दु:खी मत करो,आपके कर्म आपको भौगने पड़ेंगे,आपके पुत्र भी आपको दु:ख देंगे अगर आपने अपने माता पिता को दिया है तो क्युकी जैसी करनी वैसी भरनी है आपको उसका मूल्य चुकाना पड़ेगा।यह बात बिलिया ग्राम में चल रहे पंचकुंडात्मक विष्णु महायज्ञ व मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान चल रही श्रीमद भागवत कथा में कथावाचक केदार महाराज ने कही।गौरतलब है की 1 फरवरी से मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव चल रहा है।
जिसमे चौथे दिन श्रीमद भागवत कथा में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ।नंदोत्सव मनाया गया।श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वर्णन करते हुए महाराज ने बताया कि कंस की कारागार में वासुदेव- देवकी के भादो मास की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।उनका लालन-पालन नंदबाबा के घर में हुआ था।नंदगांव में आज भी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया गया।मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर 7 फरवरी रुद्राभिषेक के साथ प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव होगा,फिर पूर्णाहुति होगी।