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August 3, 2025 11:47 am


बाल विवाह रोकने के लिए प्रशासन सतर्क : जिला कलेक्टर ने विभागों को दिए निर्देश, ग्राम स्तर पर टीमें करेंगी निगरानी

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

झालावाड़। जिले में बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने सभी विभागों को इस संबंध में विशेष निर्देश जारी किए हैं। प्रशासन ने ग्राम और तहसील स्तर पर व्यापक निगरानी व्यवस्था बनाई है। इसमें वृत्ताधिकारी, थानाधिकारी, पटवारी, ग्राम पंचायत सदस्य और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल हैं। साथ ही महिला सुरक्षा सखी, शिक्षक और जनप्रतिनिधि भी इस अभियान का हिस्सा हैं। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह एक अपराध है। जिला प्रशासन अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा जैसे त्योहारों पर विशेष नजर रखता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य अवसरों पर भी बाल विवाह की आशंका रहती है। जिला प्रशासन का मुख्य फोकस जनजागरूकता पर है। समाज की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए विशेष कार्य योजना बनाई गई है। इसके लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर विभिन्न सहायता समूह बनाए गए हैं। महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, साथिन और सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सक्रिय किया जाएगा। प्रशासन का मानना है कि जन सहभागिता से ही इस कुप्रथा को रोका जा सकता है। इसलिए सभी विभागों और समाज के हर वर्ग को इस अभियान से जोड़ा गया है।

जिला कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि ऐसे व्यक्ति व समुदाय जो विवाह संपन्न कराने में सहयोगी होते हैं जैसे हलवाई, बैण्ड बाजा, पंडित, बाराती, टेंट वाले, ट्रांसपोर्टर इत्यादि से बाल विवाह में सहयोग न करने का आश्वासन लिया जाए। उन्हें कानून की जानकारी प्रदान कर जागरूक किया जाए। जन प्रतिनिधियों व प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ चेतना बैठकों का आयोजन करवाया जाए और ग्राम सभाओं में सामूहिक रूप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों की चर्चा की जाकर रोकथाम की जाए।

बाल विवाह रोकथाम के लिए किशोरियों, महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों व विभिन्न विभागों के कार्यकर्ता जैसे स्वास्थ्य, वन, कृषि, समाज कल्याण, शिक्षा विभाग इत्यादि के साथ समन्वय बैठकें आयोजित की जाकर इनके कार्मिकों को बाल विवाह होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना दिए जाने के लिए पाबंद किया जाए। विवाह के लिए छपने वाले निमंत्रण पत्र में वर-वधू के आयु का प्रमाण प्रिंटिंग प्रेस वालों के पास रहे और निमंत्रण पत्र पर वर-वधू की जन्म दिनांक प्रिंट की जाए। इसके लिए संबंधित बैठकें आयोजित कर कानून की पालना के लिए पाबंद किया जाए। साथ ही उपखंड कार्यालयों में कंट्रोल रूम स्थापित किया जाया, जो 24 घंटे चालू रहेंगे। कंट्रोल रूम का मोबाइल नम्बर सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा किया जाए।

बाल विवाह की रोकथाम के लिए 181 कॉल सेंटर पर और पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर कॉल कर कभी भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। स्कूलों में बाल विवाह के दुष्परिणामों व इससे संबंधित विधिक प्रावधानों की जानकारी प्रदान की जाए। इसके सभी स्कूलों को भी निर्देशित किया जाए। गांव व मोहल्लों के उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की आशंका हो, समन्वित रूप से समझाया जाए। यदि आवश्यक हो तो कानून द्वारा बाल विवाह को रोके जाने की कार्रवाई की जाए। सभी एसडीएम मजिस्ट्रेट और डिप्टी को निर्देशित किया गया है कि वे बाल विवाहों की रोकथाम के संबंध में अपने-अपने क्षेत्रों में समुचित कार्रवाई सुनिश्चित करें एवं सूचना प्राप्त,होने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत करें। बाल विवाहों के आयोजन किए जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा-6 की उप धारा 16 के तहत् नियुक्त बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों (उपखंड मजिस्ट्रेट) की जवाबदेही है। उनके क्षेत्रों में बाल विवाह सम्पन्न होने की घटना होने पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

 

Author: JITESH PRAJAPAT

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