रात्रि चौपाल के नाम अधिकारी कर रहे हैं जनता से खिलवाड़ ?
डीग (मुकेश सैनी)। डीग जिले में जहां मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर जिला प्रशासन की ओर से रात्रि चौपाल का आयोजन किया गया। डीग जिले के अऊ गांव में प्रशासन ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अऊ में रात्रि चौपाल लगाई। इसके लिए टेंट भी लगाया गया, टेबल कुर्सी भी लगाई गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात्रि चौपाल में जब लोग अपना घर का कामकाज निपटाकर शाम 8:00 बजे के लगभग वहां पहुंचे तो अधिकारी कर्मचारी चौपाल से जा चुके थे। लोगों का आरोप था कि जब रात्रि चौपाल का आयोजन किया गया था तो इसका मतलब था कि रात में अधिकारी कर्मचारी यहां पर बैठते हुए लोगों की समस्याओं को सुनते और उनका समाधान करते। लेकिन जब हम 7:55 पर तो कोई 7:45 पर चौपाल के स्थल पर पहुंचे तो यहां पर कुर्सियां खाली पड़ी थी। अधिकारी कर्मचारी घर जा चुके थे। जिन कुर्सियों पर वादी और परिवारों को बैठना था वह भी खाली पड़ी थी। गिनती के लोग बैठे थे। लोगों ने कहा कि अधिकारी कर्मचारी जा चुके हैं। गांव के युवक बृजेश शर्मा ने कहा कि आज गांव में रात्रि चौपाल का कार्यक्रम था मैं गांव की समस्या को लेकर अपनी गाड़ी में जा रहे हैं तो कौन हमारी समस्या सुनेगा। हमारी समस्याएं सुनते जाइए लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अब उनका समय हो चुका है और वह अब नहीं आएंगे, अब आपको कार्यालय ऑफिस में ही आना होगा।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
बृजेश शर्मा ने कहा कि गांव में पानी की बड़ी समस्या है, हमें उम्मीद थी की रात्र चौपाल में जिला कलेक्टर के निर्देश पर यहां पर बड़े अधिकारी आए हैं तो वह हमारी समस्या का समाधान करेंगे। लोगों को पीने का पानी मिलेगा लेकिन आधिकारिक पहले ही जा चुके हैं। लोगों का कहना है कि यह सीधा साधा मुख्यमंत्री को बदनाम करने की साजिश है। क्योंकि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि सरकार के जो कर्मचारी अधिकारी है जनता के बीच जाकर उनकी समस्या सुने और उन्हें राहत दे। लेकिन यह क्या कर्मचारी – अधिकारी सिर्फ खाना – पूर्ति कर रहे है। यह सुनने का नाटक कर रहे हैं लेकिन लोगों की सुन नहीं रहे और समाधान नहीं कर रहे हैं। ऐसा ही कुछ स्थानीय ग्रामीण का कहना था कि वह रात 8:00 बजे पहुंचा कि लेकिन उसे कोई नहीं मिला। अधिकारी कर्मचारी जा चुके थे यहां मौजूद लोगों ने बताया कि अधिकारी कर्मचारी 7:30 बजे से ही अपने सामान समेट चुके थे। 7:30 बजे के बाद में पहुंचे लोगों ने कहा कि अब लोग खाना खाकर, अपना काम धंधा करके, खेती का काम निपटा करके 8:00 बजे पहुंचेंगे ,रात्रि चौपाल का मतलब अधिकारी कर्मचारी रात्रि 10- 11 बजे तक काम करेंगे। लेकिन यहां पर अधिकारी कर्मचारी रुके ही नहीं और चले गए। शायद उन्हें एक फॉर्मेलिटी करनी थी। लोगों का कहना था कि इस तरह से उन्हें खाना पूर्ति करनी तो फिर इस तरह की रात्रि चौपाल का आयोजन करने का उचित ही क्या है। सरकार को इस तरह के आयोजन पर रोक लगाने चाहिए। क्योंकि सरकार के खाते से इन कर्मचारियों अधिकारियों के वेतन – भत्ते सब मिलते है और रात्रि चौपाल के नाम पर बहुत सारे खर्चे भी सरकार भगति है जबकि इसका फायदा आम जनता को नहीं मिल पा रहा है लोगों को कहना है कि मुख्यमंत्री की सोच अच्छी है कि जिन लोगों के काम नहीं हो पाते हैं या दिन में काम धंधे की वजह से सरकारी ऑफीसर में नहीं पहुंच पाते हैं, क्यों नहीं रात्रि चौपाल लगाकर अधिकारी कर्मचारी उनके उनके घर जाता है उनकी बात सुने, जिससे समस्या का समाधान हो सके। लेकिन यहां तो क्या कर्मचारी अधिकारी तो सरकार को ही पलीता लगाने में जूटे है। वे सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। रात्रि चौपाल के नाम पर टेंट और समियाना तो लगाई जा रहे हैं टेबल कुर्सियां लगाने का काम किया जा रहा है लेकिन अधिकारी कर्मचारी कुर्सी टेबल पर बैठने नहीं जाते है, जिससे यह जनता के काम नहीं होते और अधिकारी कर्मचारी इन टेबल कुर्सियों का पैसा और खा जाता है सरकार को इन पर एक्शन लेना चाहिए।