जिला कार्यक्रम समन्वयक की जयपुर रवानगी के आदेश
भीलवाड़ा। भ्रष्टाचार, गड़बड़ियों और गंभीर अनियमितताओं के गंभीर आरोपों से घिरा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय पर आज पहला तुषारापात हो गया हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत यहां संविदा पर कार्यरत जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) को तत्काल प्रभाव से उसे उसके पेरेंटल नियोक्ता के पास जयपुर रवाना करने के आदेश हुए हैं। विभाग में पिछले 5 वर्ष से जन कल्याणकारी योजनाओं में लगा ग्रहण इसी के साथ खत्म हो रहा हैं। इसी क्रम में कुछ और संविदाकर्मियों तथा विभाग में स्थाई कर्मचारियों के तरह कार्यरत कर्मचारियों की जल्दी बदली होने की संभावना हैं।
इसमें अगला नंबर राजनैताओं के साथ खिंचवाए फोटो सोशल मीडिया पर डालने और खुद को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के नाक का बाल मानने सहित झोलाछाप डॉक्टरो से साहब के नाम अवैध वसूली करने वाले का लग सकता हैं। इधर उस संविदा चिकित्सक को लेकर भी विभाग में चर्चा है जिसे जयपुर ज्वांइन करने के आदेश के बावजूद सीएमएचओ ने लंबे समय तक उसे रिलीव नहीं किया था। रिलीव होने के बाद भी संविदा चिकित्सक भीलवाड़ा में पाया जाता रहा हैं।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की चिरंजीवी, आयुष्मान योजना, राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना, स्वास्थ्य मंत्री की विवेकाधीन अनुदान योजना सहित अन्य योजनाओं में प्रारंभिक तौर पर भ्रष्टाचार और गड़बड़ियां पाए जाने पर विभाग में कार्यरत डीपीसी की चल चल हुई हैं। इन योजनाओं में हुए भ्रष्टाचार की यदि निष्पक्ष जांच कराई जाती है तो पिछले पांच वर्ष में हुए अनगिनत घोटाले बाहर आने की संभावना हैं।
सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों चर्चित हुई संविदाकर्मी भर्ती मामले में इस संविदाकर्मी की भागीदारी मानी जा रही हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के गठजोड़ से संविदाकर्मी भर्ती में गड़बड़ियों की शिकायत पर भीलवाड़ा मॉडल को कलंक लगने की बात कुछ दिन पहले प्रमुख स्वास्थ्य सचिव ने वीडियो कांफ्रेसिंग में कहीं थी इसके बाद निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने एक आदेश जारी कर भीलवाड़ा सहित पूरे प्रदेश में इन भर्तियों को रद्द कर दिया था। बताया जा रहा है कि डीपीसी को हटाने के बाद भीलवाड़ा में हुए घोटाले फिलहाल खूटी पर लटक जाएंगे जबकि जरूरी यह था कि पहले इन घोटालों की उच्च स्तरीय जांच करवा चोर की मां को मारा जाता।
भर्तियां रद्द होने के कारण भीलवाड़ा में नियुक्ति पाए करीब 4 दर्जन संविदा कर्मचारी बेरोजगार हो गए। अब ऐसे कई बेरोजगार कर्मचारी अपने काम के दिनों के वेतन एवं नियुक्ति के एवज में दी गई रकम की वसूली के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के चक्कर लगा रहे है, यहां उनकी सुनने वाला कोई नहीं हैं।