झालावाड़। जिले में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन गई है। पिछले एक साल (जून 2023 से अगस्त 2024) में कुत्तों के काटने के 1,449 मामले सामने आए हैं, जिनमें 2024 के पहले 6 महीनों में मामलों में तेज वृद्धि देखी गई है। शहर की गलियों और मोहल्लों में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ रहा है। रात के समय इन कुत्तों के पीछा करने से कई बाइक सवार दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। हाल ही में एक गंभीर घटना में अकलेरा कस्बे में एक महिला के चेहरे पर कुत्ते ने हमला किया, जिसके बाद महिला को कोटा रेफर करना पड़ा।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नगर परिषद के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया गया, लेकिन उनकी ओर से केवल आश्वासन ही मिला है। विशेषज्ञों के अनुसार कुत्ते के काटने से होने वाली रेबीज एक घातक बीमारी है, जिसका अभी तक कोई सफल इलाज नहीं है।
यह समस्या केवल शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी कुत्तों की संख्या में वृद्धि हो रही है। आवारा कुत्तों पर नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम न उठाए जाने से यह विशेषकर बच्चों के लिए खतरा बन गए हैं। पालतू कुत्तों के मामले में मालिकों की जिम्मेदारी तय है, लेकिन आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए कोई प्रभावी कार्ययोजना नहीं है। वर्तमान में भी करीब 100 से अधिक कुत्ते के काटने के मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
कुत्ते के काटने से होती है यह बीमारी
जनाना अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉ. आसिफ अहमद कुरैशी ने बताया कि रेबीज वायरस जनित रोग है, यह कुत्ता, बिल्ली, बंदर सहित अन्य जानवरों से फैलता है, अगर कोई कुत्ता संक्रमित हो जाता है तो वह संक्रमण नसों तक फैल जाता है, जितने भी कुत्तों को या अन्य लोगों को अपना शिकार बनाएगा, उतनी ही यह बीमारी फैलती जाएगी। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। नसों तक अगर इसका संक्रमण पहुंच जाता है तो इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन कुत्ते के काटने के बाद टीका समय पर लगाया जाए तो बीमारी का खतरा खत्म हो जाता है। यह घाव तीन तरह का होता है। इस प्रकार की बीमारी में लापरवाही बिल्कुल ना करें, तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
सर्दी में होता है बच्चों (पिल्ले) का जन्म
पशुपालन विभाग के डॉक्टर के अनुसार सर्दी के मौसम में इनका प्रजननकाल रहता है। ऐसे में इस सीजन में इनकी संख्या लगातार बढ़ती रहती है। बच्चों की संख्या भी कोई निर्धारित नहीं है। करीब एक बार गर्भवती कुतिया 5 से 6 बच्चों को जन्म देती है, लेकिन टीकाकरण नहीं होने से कम ही संख्या में जीवित रहते हैं।