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April 29, 2025 3:47 am


जहाजपुर में 48 वर्षों से चली आ रही परंपरा, होगा भव्य रामलीला मंचन कार्यक्रम

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Pankaj Garg

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स्थानीय कलाकारों की तैयारियां जोरों पर , 3 अक्टूबर को निकलेगा रामायण जी की शोभायात्रा का  जुलूस

जहाजपुर। नवयुवक कला मंडल संस्थान जहाजपुर, इस वर्ष भी अपनी 48 साल पुरानी परंपरा को जीवित रखते हुए, 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक भव्य रामलीला का मंचन करने जा रही है। दशहरे तक चलने वाले इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए संस्थान के लोगों  ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
नवयुवक कला मंडल संस्थान के अध्यक्ष अनिल कुमार सोनी ने बताया कि   हर साल की तरह इस बार भी स्थानीय कलाकारों द्वारा श्रीराम के आदर्श और मर्यादा का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया जाएगा, जो जहाजपुर क्षेत्र के धर्म प्रेमियों और सनातन संस्कृति के अनुयायियों के लिए विशेष उत्सव बन चुका है।

रिहर्सल की शुरुआत

रामलीला के भव्य मंचन को सफल बनाने के लिए स्थानीय भंवरकला गेट स्कूल में हर दिन रात 8 बजे से रिहर्सल का आयोजन किया जा रहा है। संस्थान के सचिव अतुल भारद्वाज अध्यापक ने बताया कि   रिहर्सल में कलाकार रामायण के पात्रों के जीवन और उनकी भूमिकाओं को आत्मसात करने में जुटे हुए हैं।

स्थानीय युवाओं को मिला सुनहरा अवसर

रामलीला कमेटी ने सभी इच्छुक युवक और नवयुवकों से आग्रह किया है कि वे इस पुनीत कार्य में शामिल हों और अपनी कला का प्रदर्शन करें। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की लीला में पात्रों की भूमिका निभाने के इच्छुक युवक, रिहर्सल स्थल पर आकर अपने अभिनय का प्रदर्शन कर सकते हैं। कोषाध्यक्ष  कालिदास ने बताया कि  रामलीला न केवल धार्मिक आयोजन  है, बल्कि यह हमारी सनातन संस्कृति को जीवंत रखने का एक माध्यम भी है। इस आयोजन के जरिए युवाओं में नैतिक मूल्यों और आदर्शों की शिक्षा का प्रचार किया जाता है।
यह आयोजन न केवल जहाजपुर के लोगों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि आस-पास के क्षेत्रोंv से भी हजारों की संख्या में लोग हर साल इस अद्भुत मंचन का हिस्सा बनने आते हैं।
नवयुवक कला मंडल संस्थान ने सभी धर्म प्रेमी और सनातन धर्म के अनुयायियों से अनुरोध किया है कि वे रामलीला के इस भव्य आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर आयोजन को सफल बनाएं और इस पवित्र कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें। संस्थान के उपाध्यक्ष प्रकाश गुजराती , राम प्रसाद सोनी ने बताया कि
48 वर्षों की यह निरंतर यात्रा एक सजीव उदाहरण है कि कैसे भारतीय संस्कृति और धर्म को जीवित रखा जा सकता है। रामलीला केवल एक नाटक नहीं, बल्कि हमारे जीवन के आदर्शों का प्रतीक है, जिसमें श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करके समाज को दिशा देने का प्रयास किया जाता है।
भव्यता प्रदान करने के लिए संस्थान के कलाकार प्रभु लाल पंचोली, सत्येंद्र कटिया, लादू लाल खटीक ,राजकुमार, दिनेश प्रजापत, गोलू वैष्णव, आदि कलाकार जोर-जोर से तैयारी में लगे हैं।

Author: JITESH PRAJAPAT

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