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November 2, 2024 1:11 pm


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जोधपुर में फिर महिला डॉक्टर का डिजिटल अरेस्ट : 24 घंटे तक वीडियो कॉल पर रखा, पुलिस की वर्दी में था ठग

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

जोधपुर। एक बार फिर डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया है। इस बार भी एक महिला डॉक्टर साइबर ठगों का शिकार बनी है। 3 दिन पहले भी एक रिटायर्ड महिला डॉक्टर को 17 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 87 लाख रुपए ठगे गए थे।
अब ठगों ने 31 साल की महिला डॉक्टर 24 घंटे तक वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट रखा। उसके खाते से 6 लाख रुपए आरटीजीएस करवा दिए। ठग उसके खाते से दूसरी बारी में 6 लाख रुपए ट्रांजेक्शन करवाने लगे। तब डॉक्टर को अपने साथ हो रही ठगी का पता चला। इसके बाद कुड़ी थाना पुलिस को घटनाक्रम की जानकारी दी।

पुलिस की वर्दी पहनकर वीडियो कॉल किया

कुड़ी भगतासनी थानाधिकारी राजेंद्र चौधरी ने बताया- जयपुर हाल जोधपुर निवासी नम्रता माथुर पुत्री देव आनंद माथुर (31) ने रिपोर्ट दर्ज करवाई है। रिपोर्ट में बताया- वह व्यास डेंटल कॉलेज में डॉक्टर है। 20 सितंबर की शाम को 4 बजे उनके मोबाइल पर एक वीडियो कॉल आया। कॉल करने वाले ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी और खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया था।
ठग ने एक PDF भेजा, जिसमें उसे डिजिटल अरेस्ट बताया गया। महिला डॉक्टर को दूसरी दिन 21 सितंबर की दोपहर 2 बजे तक बदमाशों ने वीडियो कॉल के सामने रखा। उनके बैंक से 6 लाख रुपए एक खाते में ट्राजेक्शन करवा दिए।

महिला डॉक्टर के नाम पर मुंबई में खाता होने का बताया डर

आरोपियों ने डॉक्टर को कहा कि उनके आधार कार्ड से लिंक एक खाता मुंबई की कैनरा बैंक में चल रहा है। उस खाते में अवैध गतिविधियों के लिए रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ है। इसको लेकर उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया गया है। उनके सभी डॉक्यूमेंट और बैंकों के बारे में ऑनलाइन जांच की जाएगी।

अरेस्ट वारंट का डर दिखाकर खातों की ली जानकारी

पुलिस के अनुसार- ठगों ने महिला डॉक्टर से उनके बैंक खातों और फिक्स डिपोजिट के बारे में जानकारी ली। पूछताछ के बाद चार लेटर भेजे, जिसमें सीबीआई के साथ एग्रीमेंट, एसेट सीजर, अरेस्ट वारंट और केस रिपोर्ट पेपर भी थे। यह सब सरकारी कागज देखकर डॉक्टर घबरा गईं और डरकर सारी जानकारी ठगों को दे दी।

कुछ समझने का नहीं दिया मौका

महिला डॉक्टर ने बताया- वीडियो कॉल पर आरोपी ने उसे इस तरह से डरा दिया कि वह कुछ नहीं समझ पाई। वीडियो कॉल काटने पर उसे तुरंत अरेस्ट करने की भी धमकी दी गई थी। साथ ही किसी से भी संपर्क नहीं करने और वीडियो कॉल के सामने ही बैठे रहने के लिए कहा था।

खातों का लगाया जा रहा पता

कुड़ी भगतासनी थानाधिकारी राजेंद्र चौधरी ने बताया- महिला डॉक्टर की रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर लिया है। उन्हें भेजे गए सभी ऑनलाइन दस्तावेज की जांच की जा रही है। महिला डॉक्टर से जिस खाते में पैसे ट्रांसफर करवाए गए है। उसका भी पता लगाया जा रहा है।
थानाधिकारी चौधरी ने बताया- किसी भी जांच एजेंसी में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान नहीं है। लोगों को इसके लिए जागरूक होना पड़ेगा। लोगों को यह भी समझना होगा कि कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी तरह से जांच में पैसों का लेनदेन नहीं करता है।
लोगों को वहां भी समझ रखनी होगी कि पैसे किस खाते में ट्रांसफर हो रहा है। उसमें क्या नाम आ रहा है। इस तरह के कॉल आने पर किसी की बातों में आए बिना पुलिस को सूचना देनी चाहिए।

रिटायर्ड और बड़े अफसरों को टारगेट करते हैं ठग

साइबर एक्सपर्ट की माने तो साइबर ठग ज्यादातर ऐसे लोगों को टारगेट करते हैं, जो रिटायर हो चुके हैं या फिर फिलहाल कोई बड़े अफसर या डॉक्टर-इंजीनियर हैं। इसके पीछे की वजह है- इनके बैंक अकाउंट में मोटी रकम होने की गारंटी। ठगों को पता होता है कि इनके अकाउंट में ज्यादा पैसे होंगे। साथ ही इनकी जिंदगी इतनी बीत चुकी होती है कि उनके कौन-कौन से दस्तावेज कहां-कहां इस्तेमाल हुए हैं, ये ठीक से इन्हें याद नहीं होगा।

साइबर ठग कैसे तय करते हैं अपना शिकार?

साइबर एक्सपर्ट बताते हैं- डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग रिटायर अफसरों, डॉक्टर, शिक्षकों और इंजीनियर का डेटा खरीदते हैं। ऐसे डेटा डार्क वेब (वो साइटों जो सामान्य सर्च में नहीं दिखती) पर आसानी से उपलब्ध होता है। साइबर अपराधी यहां से अपने टारगेट ग्रुप का डेटा खरीदते हैं। उदाहरण के लिए बैंक की डिटेल मिलने पर वो लोगों को फोन करते हैं और उन्हें उनके खाते की ही जानकारी देते हैं।
भरोसा जीतने के लिए सेविंग अकाउंट से लेकर FD तक में जमा राशि की पूरी डिटेल बताते हैं। मामला असली लगे, इसके लिए वो जिले के प्रशासनिक अफसरों के नाम का इस्तेमाल करते हैं। इन चालबाजों से सामने वाला इंसान अपराधियों पर भरोसा कर बैठता है। पीड़ित को लगता है कि वह सच में किसी मुसीबत में फंसने वाला है।

Author: JITESH PRAJAPAT

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