उदयपुर। राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास मंडल का मानना है कि तिरुपति मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिलने के विवाद के बाद राजस्थान में प्रसाद बनने वाले मंदिरों में गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए। प्रन्यास मंडल की उदयपुर में देवस्थान विभाग के मुख्यालय पर सोमवार को हुई बैठक के बाद शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रन्यास के सभापति भंवर लाल पुजारी ने कहा कि बैठक में सभी सदस्यों के सुझाव के बाद निर्णय किया गया कि प्रदेश में देवस्थान विभाग के अधीन जितने मंदिर, टेंपल बोर्ड के मंदिर या अन्य मंदिर जिनमें बड़ी संख्या में दर्शनार्थी आते है और जहां प्रसाद बनता है वहां उसकी गुणवत्ता की जांच हो इसके लिए हमारे निर्णय से सरकार को आग्रह करेंगे।
तय समय पर सूचना पर बैठक में नहीं आए कमिश्नर
सभापति भंवरलाल ने आरोप लगाया कि हमे खेद है कि प्रन्यास की बैठक की सूचना तय समय पर देने के बाद भी देवस्थान आयुक्त जो इस बोर्ड के सचिव भी है वे नहीं आए। सभापति ने काह कि उनको नियमानुसार उपस्थित रहना चाहिए था लेकिन वे नहीं आए। इस समस्या से हम सीएम को अवगत कराएंगे कि आगे ऐसी लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
बचे मंदिरों का जीर्णोद्वार हो
उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है बचे हुए मंदिरों का जीर्णोद्वार हो और इसके लिए वहां विकास के लिए क्या कर सकते है इसके लिए प्लान बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उदयपुर में नीमचमाता मंदिर की सीढ़ियां ठीक कराई जाए ताकि वहां कोई हादसा नहीं हो इसके लिए भी हमने हमारी बैठक में निर्णय किया है। सभी निर्णयों को सरकार को भेजकर इसकी पालना कराने का आग्रह करेंगे। बैठक में देवस्थान विभाग के अधीन मंदिर में सफाई व्यवस्था, मंदिरों की भूमि, भवन पर अतिक्रमण हटाने, मंदिर के पुजारी एवं सेवादारों के वेतनमान देय बढ़ाने पर चर्चा हुई। बैठक में प्रन्यास बोर्ड के सभापति व सदस्यों को नियमानुसार सुविधाएं उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया गया। इस बैठक में सदस्य भंवर लाल बिश्नोई सांचौर, उदयपुर के मेनार से औंकारमल मेनारिया, महावीर चन्द मेहता बालोतरा, संत भजना राम सिरोही, गुरुचरण सिंह जयपुर, मनीष शुक्ला झालावाड़, राजीव शुक्ला सुरोठ, विजयपाल जयपुर आदि सदस्य उपस्थित थे।
कांग्रेस राज में बना था बोर्ड
उल्लेखनीय है कि राजस्थान प्रन्यास मंडल में मनोनयन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में किया गया। अभी इस मंडल में सभी सदस्य कांग्रेस सरकार की और से मनोनीत किए गए है। ऐसे में सदस्यों का यह माना जा रहा है कि सरकार बदलने के बाद देवस्थान के अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे है।