जयपुर। व्यापारियों में ये कहावत पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। धंधे का उसूल.. पहले लिख.. फिर दे। अब AI, इंटरनेट और अकाउंटिंग के सॉफ्टवेयर्स का जमाना है। बावजूद उसके, परम्परागत व्यापारी आज भी बही खाते में लिखा पढ़ी करता आ रहा है। जयपुर में परकोटे में 4-5 व्यापारी पूरे साल बही खाते बनाने और बेचने का काम करते हैं। यहां से पूरे राजस्थान, देश के दूसरे राज्यों में भी सप्लाई होती है। विदेशों में बस गए राजस्थान के व्यापारी, वहां के लिए भी डिमांड करते हैं। जिन बही खातों को दीपावली पर पूजा की जाकी है। उन्हें पूरी तरह हाथ से बनाया जाता है। सिर्फ कागज बाहर से आता है। आज भी सिलाई, गत्ता, धागे से कारीगरी हाथ से की जाती है।

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Pankaj Garg
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