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March 14, 2025 10:51 am


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MSP पर गारंटी कानून बनाने की मांग : संसद में बेनीवाल बोले- प्राकृतिक आपदाओं को फसल बीमा से बाहर करने से सामने आई सरकार की जुमलेबाजी

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

नागौर। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी अध्यक्ष व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने बजट 2025-26 पर चर्चा में भाग लेते हुए विभिन्न मुद्दों को लोकसभा में उठाया। नागौर सांसद बेनीवाल ने कहा कि हाल ही के वर्षों में सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि और चक्रवात जैसी आपदाओं की संख्या बढ़ी है, लेकिन सरकार ने किसानों को राहत देने के बजाय उनका बीमा कवर घटा दिया है। इससे केंद्र सरकार की जुमलेबाजी जाहिर है।

लागत बढ़ने और उचित समर्थन मूल्य न मिलने के कारण किसान पहले से ही संकट में हैं और इस बजट में भी किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है। सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि बजट से पहले मोदी सरकार को सभी सांसदों से संवाद करने की पहल करनी चाहिए, भले ही वो सांसदों की बात को वरीयता ना दें।

कृषि बजट से 20 गुना ज्यादा किसानों पर कर्ज

सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि देश के कुल कृषि बजट से 20 गुना ज्यादा देश के किसानों पर कर्जा है। इस बजट में कृषि के लिए सरकार की घोषणाओं से साफ हो गया कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभ कृषि को किस नजरिए से सरकार देखती है? केंद्र सरकार ने कर्ज माफी की योजना और एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने की मांग को नजरअंदाज किया।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए पिछले 7 वर्षों में सबसे कम आवंटन इस बजट में किया गया है, जबकि प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती घटनाओं के कारण किसानों को अधिक सुरक्षा की आवश्यकता है। खड़ी फसलों को फसल बीमा योजना से बाहर निकालकर सरकार ने यह साबित कर दिया कि किसानों की आय दुगुनी करने के वादे की तरह यह बीमा योजना भी एक जुमला है। जिसे सरकार केवल दिखावे के लिए चला रही है इसलिए एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने, पीएम फसल बीमा योजना में खड़ी फसलों को शामिल करने, कृषि आदान-अनुदान की सीमा राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में 2 हेक्टेयर से बढ़ाकर 5 हेक्टेयर तक बढ़ाने व सूखा विकास कार्यक्रम में आने वाले जिलों में 5 हेक्टेयर भूमि धारक किसानों को लघु-सीमांत किसानों की श्रेणी में शामिल किए जाने की जरूरत है।

गांवों में बढ़ाएं रोजगार के अवसर

सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि इस बजट में मनरेगा का बजट पिछले साल की तरह ही रखा गया है, जबकि बेरोजगारी दर बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए मनरेगा का विस्तार किया जाना चाहिए था। लेकिन केंद्र सरकार ने बजट में मनरेगा के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया जो यह स्पष्ट करता है कि भारत सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की अनदेखी इस बजट में की है।

सांसद बेनीवाल ने ग्रामीण इलाकों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि कोविड-19 के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि देश में स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है, लेकिन सरकार ने इसमें निवेश करने के बजाय इसे नजरअंदाज किया। देश की राजधानी दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल, लेडी होर्डिंग अस्पताल व राममनोहर लोहिया अस्पताल में पद रिक्त हैं, ऐसे में देश के सुदूर इलाकों में चिकित्सा व स्वास्थ्य व्यवस्था की सुदृढ़ व्यवस्था की कल्पना करना बेकार है।

Author: JITESH PRAJAPAT

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