चित्तौड़गढ़। जिले के सबसे बड़े सरकारी स्वास्थ्य केंद्र—जिला हॉस्पिटल में सोमवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब हॉस्पिटल की पहली मंजिल पर स्थित कॉटेज वार्ड के रूम नंबर 11 में अचानक आग लग गई। आग लगने का कारण एसी (एयर कंडीशनर) में हुआ शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है, जिससे विस्फोट जैसी तेज आवाज हुई और उसके बाद आग की लपटें उठने लगीं। धुंआ ग्राउंड फ्लोर तक फैल गया, जिससे निचली मंजिलों पर भर्ती मरीजों को तुरंत बाहर निकालना पड़ा। हॉस्पिटल के कर्मचारियों और पुलिस बल ने मिलकर आग बुझाने और मरीजों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का काम किया।
आग कॉटेज वार्ड के रूम नंबर 11 में लगी, जहां एसी में अचानक जोरदार धमाका हुआ। धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के वार्डों में मरीज और उनके परिजन घबरा गए। धमाके के तुरंत बाद आग लग गई, जिसने कमरे को अपनी चपेट में ले लिया। रूम में तेजी से धुंआ भरने लगा और चंद मिनटों में वह ग्राउंड फ्लोर तक पहुंच गया। धुंए के कारण दम घुटने जैसी स्थिति बनने लगी थी, जिससे निचली मंजिलों में भर्ती मरीजों को तत्काल अन्य वार्डों या हॉस्पिटल परिसर से बाहर सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया। इस प्रक्रिया में हॉस्पिटल का स्टाफ, सुरक्षाकर्मी और सबसे बड़ी बात यह रही कि वहां पहले से मौजूद पुलिस बल सक्रिय रहा और रेस्क्यू ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
संयोगवश, घटना के समय एक अन्य मामले को लेकर पुलिस की टीम हॉस्पिटल में ही मौजूद थी। जैसे ही आग लगी, पुलिस के जवान बिना किसी देरी के आग बुझाने में जुट गए। पुलिसकर्मियों ने अस्पताल के स्टाफ के साथ मिलकर मरीजों को बाहर निकालने, दमकल विभाग को सूचना देने और आग बुझाने के प्राथमिक प्रयासों में हिस्सा लिया। पुलिस की तत्परता के कारण कई जिंदगियों को सुरक्षित निकाला जा सका। हॉस्पिटल में मौके पर एक ही व्हील चेयर थी, जिसमें एक मरीज को शिफ्ट किया गया। इसके अलावा एक बुजुर्ग की हालत खराब होते देख सदर थाना के ASI अमर सिंह ने एक व्यक्ति की मदद लेते हुए अपने कंधे पर बुजुर्ग को उठाकर बाहर निकाला। पुलिस की तत्परता से बड़ी जनहानि टल गई।
यह घटना सिर्फ एक आग लगने की घटना नहीं रही, बल्कि इसने हॉस्पिटल प्रशासन की व्यवस्थाओं की पूरी पोल खोल दी। अस्पताल जैसी संवेदनशील जगह पर न तो अग्निशमन यंत्र (फायर एक्सटेंशन) की व्यवस्था पर्याप्त पाई गई, न ही आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए कोई स्पष्ट योजना। फायर फाइटिंग पाइपलाइन पहली मंजिल तक नहीं पहुंच रही थी, जिससे आग बुझाने में काफी कठिनाई आई। अगर इस मंजिल पर मरीज भर्ती होते, तो स्थिति अत्यंत भयावह हो सकती थी। गनीमत यह रही कि कॉटेज वार्ड की यह मंजिल खाली थी और कोई भी मरीज वहां मौजूद नहीं था।
सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची। चूंकि आग ऊपरी मंजिल पर लगी थी और सीढ़ियों के माध्यम से पहुंचना कठिन था, इसलिए दमकल कर्मियों ने बाहर से सीढ़ियां लगाकर ऊपर चढ़ाई की। खिड़कियों की जाली काटी गई, फिर कांच तोड़कर अंदर प्रवेश किया गया। दमकल टीम ने संयम और तत्परता के साथ आग पर काबू पाया, हालांकि तब तक रूम नंबर 11 पूरी तरह जल चुका था। चित्तौड़गढ़ जिला हॉस्पिटल की यह घटना कोई सामान्य घटना नहीं थी। यह एक चेतावनी थी कि कैसे हम सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में सुरक्षा के मूलभूत मानकों की उपेक्षा कर रहे हैं। अस्पतालों में आधुनिक मशीनें, एसी, और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आम होते जा रहे हैं, लेकिन उनसे उत्पन्न होने वाले संभावित खतरों के प्रति सावधानी नहीं बरती जा रही।