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February 5, 2025 6:13 pm


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जयपुर में हटाया जाएगा BRTS कॉरिडोर : JDA भेजेगा सरकार को प्रस्ताव, अजमेर रोड और सीकर रोड पर बनेगा अंडरपास

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

जयपुर। राजधानी जयपुर में सुविधा से ज्यादा परेशानी बन चुके बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (BRTS) कॉरिडोर को हटाने की तैयारी शुरू हो गई है। जयपुर विकास प्राधिकरण की कार्यकारी समिति की बैठक में जयपुर में बने BRTS कॉरिडोर को हटाने का फैसला कर लिया गया है। जिसके तहत अब सीकर रोड और अजमेर रोड स्थित कॉरिडोर हटाया जाएगा।

हालांकि जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा BRTS कॉरिडोर को लेकर राज्य सरकार को अंतिम फैसले के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। जिस पर सहमति आने के बाद BRTS कॉरिडोर को हटाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

अजमेर रोड पर बनेगा अंडरपास

दरअसल, अजमेर रोड 200 फीट चौराहे पर बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए NHAI द्वारा अंडरपास बनाने की योजना है। इस अंडरपास के निर्माण से अजमेर रोड स्थित BRTS कॉरिडोर 1 किलोमीटर में खत्म हो जाएगा।

सीकर रोड पर भी अंडरपास बनाने की योजना

इसके साथ ही NHAI की सीकर रोड पर भी अंडरपास बनाने की योजना है। जिसके बाद सीकर रोड का BRTS कॉरिडोर 1.2 किमी की लंबाई में खत्म हो जाएगी। इससे पहले झोटवाड़ा एलिवेटेड रोड के निर्माण और पानीपेच से राव शेखा सर्किल तक पहले ही BRTS कॉरिडोर खत्म हो चुका है।

पूर्व मंत्री ने बताया था मौत का कुआं

इससे पहले पूर्व कांग्रेस सरकार में तत्कालीन परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कॉरिडोर को मौत का कुआं बताते हुए हटाने का फैसला किया था। लेकिन तब यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल नहीं माने थे। उस वक्त उन्होंने तर्क दिया था कि 169 करोड़ केंद्र की जेएनएनयूआरएम स्कीम में मिले हैं। ऐसे में BRTS कॉरिडोर को हटाने पर कई पचड़े होंगे। इसके बाद BRTS कॉरिडोर को हटाने को लेकर यूडीएच सचिव की अध्यक्षता में 3 आईएएस की कमेटी बनी, जिसकी रिपोर्ट ही नहीं आई। इसके। बाद मार्च 2022 में पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा को जानकारी देते हुए कहा था कि जयपुर में विफल साबित हुआ BRTS कॉरिडोर हटाया नहीं जा सकता, क्योंकि केंद्र इसकी अनुमति नहीं दे रहा।

बता दें कि साल 2007 में परिवहन प्रणाली की आवश्यकता के बाद जयपुर में BRTS कॉरिडोर की कल्पना की गई थी। पहले 2 चरणों में 46 किलोमीटर लंबी बस आधारित यातायात प्रणाली का प्रस्ताव लिया गया था। जिसके लिए 50% राशि केंद्र सरकार, 20% राज्य सरकार और 30% जेडीए द्वारा खर्च की गई थी।

इसलिए बनाया था…

BRTS बनाने के पीछे मकसद था कि लोग निजी वाहनों की बजाय BRTS कॉरिडोर में चलने वाली बसों में सफर करें। इससे सड़कों पर यातायात का दबाव कम होने से जाम भी नहीं लगेगा और समय भी बचेगा। साथ ही सड़क दुर्घटना में भी कमी आएगी। यह प्रोजेक्ट धरातल पर तो उतरा, लेकिन सही तरीके से संचालन नहीं करने से अब यह परेशानी का सबब बनता जा रहा है।

ये 10 बड़ी खामियां

  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट और इमरजेंसी वाहनों के लिए बनाया गया कॉरिडोर अब सामान्य यातायात के लिए खोलना।
  • सही तरीके से संचालन के लिए मॉनिटरिंग सिस्टम फेल।
  • यात्रियों के बैठने के लिए कुर्सियां नहीं है। और कुछ जगह है वो टूटी हुई।
  • टाइल्स टूटी और बारिश में पानी टपकता रहता है।
  • पीने के पानी और टॉयलेट की सुविधा नहीं है।
  • बस स्टॉप पर आने वाले लो-फ्लोर बसों की जानकारी चस्पा नहीं है।
  • हेल्पलाइन नंबर और प्राथमिक चिकित्सा के लिए फ़र्स्ट एड बॉक्स भी नहीं है।
  • शिकायत के लिए अधिकारियों के मोबाइल नंबर भी नहीं है।
  • रात में कॉरिडोर की बिजली बीच-बीच में बंद रहती है। संकेतक भी टूटे हुए हैं, जिससे रात के समय में दिक्कत होती है।

Author: JITESH PRAJAPAT

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