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July 8, 2025 3:27 am


भगवान शिव का सूर्य की किरणों से हुआ अभिषेक : हजारेश्वर महादेव मंदिर में साल में दो बार पड़ती है शिवलिंग पर धूप

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Pankaj Garg

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चित्तौड़गढ़। जिले के हजारेश्वर महादेव मंदिर में साल में केवल दो बार सूर्य की किरणें सीधी शिवलिंग तक आती हैं। भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर पड़ने वाली रोशनी को देखने के लिए इन दिनों भक्तों की भीड़ लगी हुई है। दोनों ही समय ऐसा पांच-पांच दिनों तक होता है। आज सूर्य की किरण गर्भ गृह तक पहुंचने का तीसरा दिन है। सनातन धर्म में इसे बहुत शुभ माना जाता है। मंदिर में वास्तु शास्त्र का अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है। खास बात है कि एक शिवलिंग पर एक हजार शिवलिंग बने हुए हैं। हजारेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्री चंद्रभारती महाराज ने बताया कि ऐसा योग साल में दो बार ही आता है, जब इस तरह के दिव्य दर्शन होते है। एक बार सूर्य भगवान जब उत्तरायण से दक्षिणायन की तरफ जाते हैं तो शिवलिंग पर सूर्य की किरणों से अभिषेक होता है। दूसरी बार दक्षिणायन से उत्तरायण की तरफ सूर्यदेव आते हैं, तब भी शिवलिंग पर सूर्य की किरणें पहुंचती है। शनिवार को भोर होते ही हजारेश्वर मंदिर में भगवान शिव का सूर्य किरणाभिषेक हुआ। भगवान सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भ गृह में स्थित शिवलिंग पर पड़ी तो यहां मौजूद महंत, भक्त और पंडितों ने दिव्य दर्शन किए। इस समय कई भक्त भी मौजूद रहे। आज तीसरा दिन है जब किरणें गर्भ गृह तक पहुंची।

महंत ने बताया कि ऐसा होना सनातन धर्म में शुभ माना जाता है। सनातन धर्म में सूर्य को ऊर्जा का स्रोत और ग्रहों का राजा माना जाता है। ऐसे में जब देवता अपनी पहली किरण से भगवान का अभिषेक करते हैं तो उसे आराधना में और देवत्व का भाव जाग जाता है। उन्होंने कहा कि मंदिर का वास्तु कुछ इस प्रकार है कि दस दिन ही भोर की पहली किरण गर्भगृह के छोटे से द्वार को चीरती हुई भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग पर पड़ती है। जैसे सूर्य देव भोलेनाथ को प्रणाम कर जग में उजियारा फैलाने की परमिशन मांगते हो। इन दस दिनों को छोड़ दिया जाए तो ऐसा बाकी दिनों में कभी नहीं होता। हजारेश्वर महादेव मंदिर आस्था और शिल्प के बेजोड़ संगम के लिए प्रसिद्ध है। हजारेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। हजारेश्वर महादेव के आचार्य श्रवण सामवेदी ने बताया कि गर्भगृह में विशाल शिवलिंग के दर्शन करने यहां महाशिवरात्रि पर और श्रावण मास में लाखों दर्शनार्थी पहुंचते हैं। इस मंदिर का निर्माण एक विशेष पुष्य नक्षत्र में किया गया था। इस मंदिर का निर्माण 1100 साल पहले हुआ था। वास्तुकला के बेजोड़ नमूने को निर्मित करने वाले की आकृति भी मंदिर के गुंबज के पास नजर आती है। मंदिर और मंदिर का शिखर श्रीयंत्र जैसा बना हुआ है। शिवलिंग भी चंद्राकार का है। भगवान शिव का यह मंदिर विख्यात होकर पावटा चौक के पास स्थित है।

Author: JITESH PRAJAPAT

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