भीलवाड़ा। राजस्थान राज्य विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में राजस्थान विद्युत संघर्ष समिति के आह्वान पर शुक्रवार को बड़ी संख्या में कर्मचारी एक्सईएन ऑफिस के बाहर जुटे। सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। विरोध प्रदर्शन करते हुए शहर के मुख्य बाजारों से एक रैली निकाल जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राजस्थान सरकार और निगम प्रशासन राजस्थान राज्य विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में सौंपने जा रहा है। इसका हम सभी लोग विरोध करते हैं और इसी विरोध के चलते प्रदर्शन कर रहे हैं।
पावर स्टेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधि हेमेंद्र नावर ने बताया- विद्युत विभाग भीलवाड़ा की समस्त यूनियन एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर आई है। यह सरकार जो समय-समय पर, स्टेप बाय स्टेप लगातार निजीकरण कर रही है, उससे हमारे सभी कर्मचारियों में भारी गुस्सा है। हम जो तनख्वाह लेते हैं, उससे दुगना कार्य करके दे रहे हैं। राज्य सरकार फिर भी तानाशाही रवैया अपना के लगातार निजीकरण कर रही है। इसके विरोध में भीलवाड़ा और समस्त प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा कर्मचारी सड़कों पर है। अगर समय पर मांगें पर नहीं मानी गई, तो पूरे राजस्थान में यह आंदोलन उग्र हो जाएगा।
संगठन के जुम्मा काठात ने बताया- राजस्थान विद्युत संघर्ष समिति के आह्वान पर आज हम लोग अधीक्षण अभियंता कार्यालय के बाहर भीलवाड़ा जिले के लगभग एक हजार से ज्यादा कर्मचारी इकट्ठा होकर अपनी मांगों के लिए आंदोलन कर रहे है। राजस्थान सरकार और निगम प्रशासन हमारे राजस्थान विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में सौंपने जा रही है इसी को लेकर हम इकट्ठे हुए।
एक ज्ञापन अधीक्षण अभियंता को दिया है। इसे राजस्थान सरकार के ऊर्जा सचिव को भेजा जाएगा। इसके अलावा जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया है, जो मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा। इसमें स्पष्ट मांग है कि इस निजीकरण को बंद किया जाए। साथ ही हमारे ओपीएस और पेंशन स्कीम, जो अभी तक हमें नहीं मिली है उसे भी दिलाया जाए और अगर इन मांगों को सरकार और निगम प्रशासन नहीं मानती है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
इस दौरान बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने अधीक्षण कार्यालय के बाहर इकट्ठा होकर नारेबाजी की और विरोध प्रदर्शन किया। यहां से सभी जुलूस के रूप में शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए सूचना केंद्र चौराहे पहुंचे। यहां विरोध प्रदर्शन के बाद जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचें और जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए कर्मचारियों निजीकरण के विरोध में नारेबाजी की।