बांसवाड़ा। गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय की ओर से इस बार एमए फाइनल में साहित्य शास्त्र के समूह में दर्शनशास्त्र के दो प्रश्न पत्र जबरन पढऩे को विवश करने के हालात सामने आने से विद्यार्थियों में असंतोष फैल गया। इसकी सुध इन दिनों परीक्षा फॉर्म भरते हुए आई तो आपत्ति उठी। हालांकि जानकारी पर जीजीटीयू ने इसे गुरुवार को ही सुधार दिया। देशभर में एमए उत्तरार्द्ध के पाठ्यक्रमों में व्याकरण, साहित्य, दर्शन और वेद आदि चार से अधिक विकल्प रहते हैं, किंतु मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय और जनजातीय विश्वविद्यालय में केवल दो ही विकल्प साहित्य और दर्शन रहे हैं। इस पर भी नवीन शिक्षा नीति के तहत बने सिलेबस में विश्वविद्यालय दो प्रश्न पत्र साहित्य और दो दर्शन के बनाकर जारी कर दिया। हालांकि इसे अगस्त दूसरे सप्ताह में वेबसाइट पर डाला गया। फिर 15 सितंबर को अधिकारिक रूप से टाइम टेबल भी जारी किया गया, लेकिन पहले किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब जबकि दर्शन अपने आप में एक गूढ विषय है और प्रदेश के अधिकांश महाविद्यालयों में विषय विशेषज्ञ के तौर पर संस्कृत साहित्य और साहित्य शास्त्र के ही प्राध्यापक और आचार्य हैं। ऐसे में परीक्षा फॉर्म भरने के अंतिम दौर में रहे छात्र दुविधा में आ गए। छात्र-छात्राओं की ओर से कॉलेजों में संकाय सदस्यों से चर्चा पर उन्होंने भी संस्कृत साहित्य में दर्शन के दो पेपर देना गलत ठहराया, तो असंतोष और उभरा और बात विश्वविद्यालय तक पहुंची। दूसरी ओर, मामले में जीजीटीयू के परीक्षा प्रभारी डॉ. मनोज पंड्या ने बताया कि टाइम टेबल जारी करने के दो माह बाद मामला संज्ञान में लाया गया तो छात्रहित में गुरुवार को ही विषय विशेषज्ञों से रायशुमारी कर संशोधन कर दिया गया है।