दौसा। जिला अस्पताल में डॉक्टर्स की टीम ने पहली बार एक महिला की डिलीवरी कराने के लिए साढ़े 5 घंटे से ज्यादा समय तक ऑपरेशन कर मां और नवजात की जान बचाई। महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश गुर्जर ने बताया- भांडारेज निवासी गर्भवती महिला सरोज देवी (23) पत्नी संजय बैरवा की गर्भनाल बच्चेदानी के अंदर उसकी परत से चिपक गई थी। ऐसी स्थिति में डिलीवरी कराने के लिए ऑपरेशन के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है।
इस बारे में महिला और उसके परिजनों को बताया गया। उन्हें सलाह दी गई कि इलाज के लिए जयपुर ले जाए, लेकिन परिजन दौसा में ही डिलीवरी कराने पर अड़े रहे। इस पर जिला अस्पताल में जांच के बाद डॉ. गुर्जर ने महिला को भर्ती कर इलाज किया।
डॉक्टर बोले- ऑपरेशन में जान को खतरा है
जांच के बाद पाया कि महिला की सामान्य डिलीवरी कराना संभव नहीं है और ऑपरेशन में भी जान को खतरा है। जिला चिकित्सालय में मातृ एवं शिशु कल्याण केंद्र में डॉ. गुर्जर ने सुबह 8:15 बजे ऑपरेशन शुरू किया, जो दोपहर 1:43 बजे तक चला। इसमें पेट में चीरा लगाकर बच्चेदानी के अंदर चिपकी गर्भनाल के साथ बच्चे को निकाला और फिर बच्चा बाहर आने पर गर्भनाल को काटकर अलग किया।
1.60 लाख रुपए के दो फैक्टर-सेवन इंजेक्शन लगाए
डॉ. गुर्जर के अनुसार- जिला अस्पताल में साढ़े 5 घंटे से अधिक समय तक चला यह पहला ऑपरेशन था। गर्भवती महिला की बच्चेदानी पर चीरा लगाते ही तेजी से खून बहने लगा। बच्चेदानी के अंदर से हाथ से काफी मशक्कत के बाद बच्चे को बाहर निकाला जा सका। इस दौरान काफी तादाद में महिला का खून बह गया। इससे देखते हुए महिला को 2 यूनिट खून चढ़ाया गया। महिला की शादी करीब 10 साल पहले हुई थी और पति मजदूरी करता है। महिला के पहला बच्चा 5 साल और दूसरा 3 साल का है। सभी बच्चे सिजेरियन हुए है।
1.60 लाख रुपए के दो फैक्टर-सेवन इंजेक्शन लगाए
उन्होंने बताया कि महिला को 1.60 लाख रुपए के दो फैक्टर-सेवन इंजेक्शन लगाए गए। इसमें पूर्व पीएमओ डॉ. दीपक शर्मा का भी सहयोग मिला। उन्होंने महिला के लिए ब्लड व इंजेक्शन निशुल्क मुहैया कराए। ऐसा नहीं होने पर महिला को रेफर करना पड़ता। महिला ने तीसरी संतान के तौर पर बेटे को जन्म दिया, जबकि उससे पहले एक बेटा व बेटी हैं और दोनों ही ऑपरेशन से हुए थे।
जिला अस्पताल में 10 साल में दूसरा केस
डॉ. राजेश ने बताया- जिला अस्पताल में पिछले 10 साल में यह दूसरा केस आया है। जिसे ऑपरेट करने में इतना ज्यादा टाइम लगा है। पहले वाले केस में गर्भवती को रेफर किया गया था। हालांकि इस प्रकार के मामले अमूमन आते नहीं हैं। लेकिन लगभग 5 हजार केस में ऐसा एक मामला आता है।