सुवाणा से समेलिया फाटक तक 200 फीट रिंग रोड़ थी प्रस्तावित अभी तक नहीं बनने साथ ही फाईलों में बनी होना दिखाने के बावजूद न्यास के अधिकारियों कार्मिकों ने भू-कारोबारियों से मिलझुलकर उठाया मुआवजे का दूषित भूगतान…? जिम्मेदार अधिकारी है मौन लम्बे समय से बिराजीत कार्मिक है अकुकसम्पति के मालिक…? क्यों जांच में कि जाती है गूरेज क्या है अदृश्य कारण…?
कौन कौन अधिकारी, कार्मिक सफदे पोश, बड़े भू-कारोबारी, दलाल है पर्दे के पिछे…? क्या हुए दूषित मुआवजे के भुगतानों व राजकोष को हुई हानी के लिए उच्च अधिकारी अथवा संबंधित अधिकारी संज्ञान लेंगे या करेंगे भ्रष्टाचारियों को और ज्यादा बलशाली…?
भीलवाड़ा। नगर विकास न्यास एक बहुत बड़ा दूषित कार्यो व फर्जी पट्टे जारी करने इत्यादी कार्यो के लिए पूर्व से ही काफी सूर्खियों में रहा है। लेकिन उच्च अधिकरियों की आखों में धूल झोकते हुए, जारी आदेश क्रमांक: प.6(29)नविवि/3/04 पार्ट, जयपुर, दिनांक 30 जूलाई 2021 के विपरीत जाकर राजस्थान सरकार के राजकोष को बड़ा नुकसान करते हुए विशेषाधिकारी, सचिव व कार्मिकों ने मुआवजे का एक बहुत बड़ा खेल रचकर राज्य सरकार के राज्य कोष को बहुत बड़ी हानी पहुचाई है।
मुआवजा राशि प्रस्तावित कार्यो पर नहीं दी जाती है बल्की कार्य सम्पुर्ण होने पर विधिक प्रक्रिया अपनाकर ही दी जाती जाती है। यहा तो न्यास कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा यहा पुरी नमक की रोटी बनादी और संबंधित अधिकारी व जिले के अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधे धृतराष्ट्र की तरह देख रहे है 200 फीट रिंग रोड़ जो कि सुवाणा से समेलिया फाटक तक प्रस्तावित था उससे पहले ही जमीनों का बिना समतुल्य मुल्यांकन करे बिना ही मिलीभगत कर बड़ा लाभ कमाने के लिए मुआवजा राशि के रूप में बड़े बड़े कॉर्नर भूखण्ड के रूप में जारी कर दिये और जिन भूखण्डों का नियमों का हवला देते हुए अवार्ड संख्या 329/91 की पालना में विलेख (पार्ट) नियम के अन्तर्गत बिन्दू संख्या 02 यह कि उक्त वर्णित भूमि का राजस्थान नगरीय सुधार अधिनियम 1959 की धारा 32(1) केन्द्रीय भूमि अवाप्ति अधिनियम 1994 की धारा 6 के अन्तर्गत (जो भूमि लागू हो) राजस्थान सरकार के राजपत्र में दिनांक 27.09.1992 को न्यास की तिलक नगर योजना के लिए अधिसूचित हो चुकी है एवं न्यायालय भूमि अवाप्ति अधिकारी (कलेक्टर की शक्तियां प्रदत्त अधिकारी ) द्वारा दिनांक 25.08.1994 को निर्णय पारित कर अवार्ड जारी किया गया।
कैसे रचा भ्रष्टाचारी मुआवजा देने का बड़ा दूषित खेल कौन-कौन है शामिल…? बड़ी जांच का कार्रवाई का विषय…?
200 फीट सुवाणा से लगाकर समेलिया फाटक की रोड़ 2035 के मास्टरपलान में प्रस्तावित थी लेकिन शहर के कुछ सफेद पोश व राजनेतिक संरक्षण प्राप्त व अधिकारियों के मुह लगे चहते व्यक्ति विशेष, दलाल, बडे़ भू-कारोबारी जिनके निजी आवासों पर यूआईटी के समकक्ष चलती है यूआईटी। जिन्होंने अपने बाहुबल, धनबल व दूषित रिश्तों के चलते अधिकारियों से मिलीभगत कर चहतों की कृषि भूमि को चिन्हीत करा रोड़ बनने से पूर्व ही लाखों/करोड़ा रूपए के मुआवजे की राशि उठाली साथ ही मुआवजे के मिले भूखण्ड़ों का अविलम्ब विक्रय भी कर दिया। साथ ही कुछ ऐसी जगह भी मुआवजा उठाने के लिए चिन्हीत की जहां पर कृषि भूमि पर कृषि कॉलोनी कट चूकी थी और उनके दूषित दस्तावेजात तैयार कराके उनका भी मुआवजा उठा लिया गया जो कि अपने आप में स्पष्ट दर्शाता है कि नगर विकास न्यास में लम्बे समय से जमे अधिकारी व कर्मचारी ध्रुर्तता पूर्वक कार्य करते हुए। राजस्थान सरकार के राजस्व का नुकसान करते हुए किस तरह से बड़ा अदृश्य लाभ प्राप्त किया है। नगर विकास न्यास द्वारा राजस्व ग्राम भीलवाड़ा की आराजी संख्या 2214, 2215, 2216, 2217 कुल रकबा 5 बीघा तीन बिस्वा का 1/2 हिस्सा खातेदार धर्मेन्द्र सिंह शक्तावता पुत्र शिव सिंह शक्तावत का था जिन्होंने पूर्व में कृषि भूमि पर कृषि भूखण्ड विक्रय कर दिये थे और उन पर मकान बने होने के बावजूद नगर विकास न्यास से अवार्ड संख्या 129/91 दिनांक 30.01.2024 को पारीत करा कर मुआवजे के रूप में भूखण्ड संख्या 4-जे-43, 4-जे-44 क्षेत्रफल एक भूखण्ड का 39×89 था जिनका कुल क्षेत्रफल 6 हजार 942 वर्ग फुट था जो मुआवजे के रूप में लेकर (अ) अर्पित पुत्र श्याम सुन्दर (ब) गोपाल झवर पुत्र प्रहलाद झवर (स) नरेन्द्र राठी पुत्र बालमुकन्द राठी को भूखण्ड संख्या 4-जे-43 का दिनांक 15.12.2023 को जरीये पंजीकृत बैचान बैचान कर दिया। भूखण्ड संख्या 4-जे-44 का धर्मेन्द्र सिंह शक्तावता पुत्र शिव सिंह शक्तावत द्वारा (अ) अर्पित बिडला पुत्र बालूराम बिडला (ब) कैलाश बद्रीलाल काबरा पुत्र बद्रीलाल जगन्नाथ काबरा (स) राकेश राठी पुत्र दामोदर राठी को कर दिया, लेकिन राजस्व रेकॉड में अवाप्त भूमि नगर विकास न्यास के नाम इन्द्राज होने के बावजूद भी भौतिक कब्जा न्यास नहीं ले पाया है और मुआवजा जारी कर दिया है। ऐसा क्यों व किन कारणों से किया गया इसके पिछे कौन कौन है जाँच करा कड़ी से कड़ी विधि कार्रवाई क्यों नही की गई…? उक्त मुआवजा देने का सबसे बढ़ा कारण है कि मौके पर एक इंच भी जगह नहीं होने से कृषि भूमि के मलिक द्वारा कृषि भूखण्ड काट दिए और वहा पर मकाल बन गए के पश्चात मुआवजे की फाईल नगर विकास न्यास में लगाई गई और बेचे कृषि भूखण्ड़ों को मुआवजा उठा लिया गया जो कि एक राज्य सरकार के साथ धोखाधड़ी का कृत्य है इस मुआवजे को स्वीकृत कराने के लिए नगर विकास न्यास के किस किस अधिकारी ने किस किस कार्मिकों के जरिए हस्ताक्षर कर भुगतान किया और मुआवजा स्वीकृत कराने में भीलवाड़ा के कौन कौन दलाल व सफेद पोश, भू-कारोबारी, लिप्त अधिकारी शामिल है। जो एक बहुत बड़ा रहस्यमही विषय है और यह बताता है कि नगर विकास न्यास में इस तरह के दूषित और भ्रष्टाचारी कृत्य कितने लम्बे समय से चल रहे है। जिससे सरकार के राजस्व को बड़ी हानी हो रही है और इस तरह की कई पत्रावलियां भी गायब है जिसके लिए भी संबंधित आलाअधिकारी व कार्मिक मौनमुख दर्शक बने हुए है…? क्या अदृश्य है कारण क्यों संबंधित अधिकारी इतने बड़े भ्रष्टाचारी कृत्यों को होते देख चूप्पी साध लेते है…?
- रतन लाल बलाई व मोहन लाल बलाई कि सुवाणा की आराजी संख्या 4633/2497 रकबा 0.6828 17274 वर्गफीट की है। जिसमें जारी अवॉर्ड में नगर विकास न्यास की 1959 की धारा 51 में आपसी समझोता होना बताया है और इस भूखण्ड की भी बिना कब्जा लिए बिना राजस्व रेकॉर्ड में नगर विकास न्यास के नाम चढाए। रतन लाल बलाई व मोहन लाल बलाई को तिलक नगर में कॉर्नर भूखण्ड संख्या 7ए1 क्षेत्रफल 39×89=3471 वर्ग फीट का मुआवजा दे दिया रतन लाल बलाई व मोहन लाल बलाई जिसने मुआवजा प्राप्त किया था उसने बिना देरी किए सीता देवी पत्नी श्याम लाल तेली हलेड रोड भवानी नगर भीलवाड़ा को भूखण्ड बेच दिया गया। जबकी जिस रिंग रोड़ के एवज में भूखण्ड दिया गया था वो रोड़ प्रस्तावित थी। जब आज तक रोड़ बनी ही नहीं और मुआवजे कार्यवाही करने से पूर्व व आज दिनांक तक जब राजस्व रेकॉर्ड में न्यास के नाम चडी ही नहीं तो मुआवजा किन आदेशों किन नियमों या किस दबाव में दिया गया। जो अपने आप में स्पष्ट दर्शाता है कि किस तरह से लाखों करोड़ों रूपए यूही भ्रष्टाचारों के माध्यम से स्वयं का लाभ कमाने के लिए हम सलाह एक राय होकर किया जा रहा हैं और कौन है इन खेलो के पिछे क्यों अधिकारी हो रहे भ्रष्टाचार को अनदेखा कर रहे है…?
- इसी तर्ज पर सुवाणा के कन्हैया लाल पुत्र फत्ता जाट, माना पुत्र फत्ता जाट की आराजी संख्या 2492/2 रकबा हैक्टर 0.5690 में से 6049.71 वर्गगज भूमि आवाप्त कर आवाप्त भूमि के बदले में तिलक नगर नेहरू विहार योजना में बहुमुल्य कॉर्नर भूखण्ड दिए।
(अ) भूखण्ड संख्या 14/148 क्षेत्रफल है 20×40 कॉर्नर
(ब) भूखण्ड संख्या 14/549 क्षेत्रफल है 30×64 कॉर्नर
(स) भूखण्ड संख्या 15/115 क्षेत्रफल है 20×40 कॉर्नर
इतना नहीं खातेदारों ने भूखण्डों का बैचान अशोक कुमार टोडावाल निवासी जी-139 आरेके कॉलोनी भीलवाड़ा को बैचान कर दिया लेकिन राजस्व रेकॉर्ड में आज भी उक्त भूमि मुआवजा देने के बाद भी खातेदार के नाम पर ही बोल रही है। जिससे खातेदार कृषि जमीन को पुनः बेचने पर आमदा है। इतना बड़ा खेल खेलन के पिछे कौन कौन अधिकारी कौन कौन दलाल और कौन कौन व्यक्ति विशेष है उक्त प्रकरण कि पत्रावली भी ऐसा जानकारी में आया है कि न्यास के रेकॉर्ड से गायब है वर्ष 2021 अक्टूबर से वर्ष प्रशासन शहर की ओर जो कैम्प चला उससे लेके फरवरी 2024 तक कई पत्रावलियों में पिछली दिनांक में कार्यवाही कर भुगतान दिया गया ऐसी पत्रावली व इससे पूर्व की पत्रालियां जिनमें मुआवजा राशि प्रदान की गई वो न्यास के रेकॉर्ड से गायब है क्यों आज तक संबंधित अधिकारी व कार्मिक चूप है कौन है पर्दे के पिछे…?
इसी तर्ज पर खातेदार भैरू लाल बलाई पुत्र रूपा बलाई सुवाणा को भी प्रस्तावित 200 फीर्ट रिंग रोड़ के एवज में आराजी संख्या 2497/5 रकबा 0.5184 12060 वर्गफीट भूमि आवाप्त कि जिसके एवज में एक तिलक नगर योजना कॉर्नर का भूखण्ड संख्या जी-एल-13 39×69 दिया जिसका पट्टा दिनांक 13.10.2022 को जारी किया जो कि भैरू बलाई आत्मज रूपा बलाई सुवाणा द्वारा जरीए पंजीकृत विक्रय पत्र द्वारा दिनांक 29.12.2023 को मोहम्मद शरीफ सीलावट आत्मज कादर बक्ष निवासी मदीना मस्जिद रोड़ मोहम्मदी कॉलोनी शास्त्री नगर को बेच दिया उपरोक्त भूखण्ड आज भी राजस्व रेकॉर्ड में भैरू लाल बलाई पुत्र रूपा बलाई के नाम से है। जबकि न्यास उस भूखण्ड का मुआवजा दे चूकि है जबकी रोड़ बनी नहीं महज प्रस्तावित थी। फिर भी इतना बड़ा भ्रष्टाचार जिस जिस अधिकारी के समय हुआ क्यों नहीं लिया संज्ञान में उक्त भूखण्ड की पत्रावली न्यास के रेकॉर्ड से गायब है।
इसी तर्ज पर अशोक कुमार टोडावाल (तम्बोली) पुत्र भवर लाल टोडावाल निवासी जी-139 आरके कॉलोनी भीलवाड़ा की आराजी संख्या 3831 रकबा 0.4805 में से 0.2675 जिसका 28800 वर्गफीट भूमि बनती है को आवाप्त किया व आवाप्ति के बाद जल्दबाजी करते हुए इसका मुआवजी उठा लिया मुआवजे के रूप में तीलक नगर में भूखण्ड संख्या 6-एल-14 क्षेत्रफल 30×64 का भूखण्ड दिया गया जिसका न्यास का पट्टा क्रमांक 5255 दिनांक 13.10.2022 था। जिसको अविलम्ब ही खातेदार द्वारा पारसमल बोहरा पुत्र रोशन लाल बोहरा बी-404 शास्त्री व गणेश लाल बलाई पुत्र मांगी लाल बलाई निवासी माहेश्वरी भवन के सामने शास्त्री नगर भीलवाड़ा को जरीए पंजीकृत विक्रयपत्र दिनांक 30.12.2023 को बैचान किया गया जो आज भी खातेदार के नाम से राजस्व रेकॉर्ड में कृषि भूमि दर्शा रही है जिसको खातेदार पुनः बैचने को आमदा है जानकारी करने सुत्रों से मालूम हुआ की उक्त प्रकरण की पत्रावली भी न्यास के रेकॉर्ड से गायब है।
- इसी तर्ज पर राजू लाल पुत्र सुभाष खटीक का जरीए मुख्तियारआम 1/4 हिस्सा चांदमल पुत्र कालूराम खटीक निवासी दादाबाड़ी से नई ईरास का दो बीघा ग्यारह बिस्वा अवाप्त कर अवार्ड की सम्पुर्ण कार्यवाही अविलम्ब कर मुआवजे के रूप में चार भूखण्ड दिए गए।
(क) भूखण्ड संख्या 7-बी-62 52×89 = 4450 वर्गफीट का दिया।
(ख) भूखण्ड संख्या 7-बी-62/2 27×89 = 2403 वर्गफीट का दिया।
(ग) भूखण्ड संख्या 7-बी-62/3 39×89 = 3471 वर्गफीट का दिया।
(घ) भूखण्ड संख्या 7-बी-62/4 44×89 = 3916 वर्गफीट का दिया।
(ड़) भूखण्ड संख्या 7-बी-62/5 22×89 = 1958 वर्गफीट का दिया।
सबसे महत्वपूण बात यह है कि मुआवजा तो नहीं ईरास का दिया गया था मुआवजे के रूप में जो भूखण्ड दिए गए थे वह 200 फीट रोड़ के बेशकीमती भूखण्ड है उपरोक्त भूखण्ड देने से लगाकर आज तक न्यास के नक्शे में न तो आज तक दर्ज है नही इन्द्राज फिर क्यों व किस दबाव में न्यास के बेशकिमति भूखण्डों को मूआवजे में दिया गया न ही इनकी समतुल्यता बिठाई गई। इस प्रकरण की पत्रावली भी न्यास के कार्यालय से गायब है…?
इसी तर्ज पर सुलेखा पत्नि प्रमिल कुमार सिसोदिया, प्रमिल कुमार पुत्र सुन्दर लाल सिसोदिया कि पांसल की आराजी संख्या 4589/4239 रकबा 1.8462 का 1/6 हिस्सा जिसके मुआवजे में कई अंकित नहीं है की उक्त कृषि भूमि सौ फिट या दौसौ फिट रोड़ के मार्गाधिकार के बिच में आ रही है या नहीं। कहा मार्ग प्रस्तावित है कहा प्रस्तावित मार्ग में आएगी। उक्त भूखण्ड से संबंधित मास्टर प्लान के जोनल प्लान में भी नहीं लिखा है फिर भी भूमि की अवाप्ति दिखा कर उक्त खातेदारों को बापूनगर योजना में बेशकिमति भूखण्ड मिलीभगत कर भ्रष्टाचारी तरीके से दे दिए जिनके क्रमांक निम्न हैः-
(क) आई-444, 445,446,447 क्षेत्रफल, 49×89 का एक भूखण्ड का है।
(ख) एफ-447 क्षेत्रफल, 39×69 का एक भूखण्ड का है।
उपरोक्त लिखे सारे भूखण्डों को अवाप्त कर मुआवजा राशि के रूप में बेशकिमति भूमि को देकर सरकार के राजस्व का वर्ष 2022-23 में अफसरों, कार्मिकों, दलालों व सफेद पोशों ने हमसलाह एकराय होकर भ्रष्टाचारी दूषित कृत्यों के माध्यम से अदृष्य लाभ प्राप्त करने के लिए बहुत बड़ा भष्टाचार किया है उपरोक्त मुआवजों की पत्रालियां भी मिली जानकारी सुत्रों के अनुसार न्यास कार्यालय के रेकॉर्ड में नहीं है। पूर्व में भी न्यास के भूखण्डों 10-ई-16,17,18,19 के पर कुछ कार्मिकों द्वारा व कुछ संविदाकर्मि ने मिलकर दूषित कृत्यों को अंजाम देकर फर्जी दस्तावेजातों के जरीए बैचान किया था जिसे भी न्यास के अधिकारियों ने संज्ञान लेते हुए निरस्त किया था साथ उक्त दिए मुआवजे की अवाप्त भूमि का व डीएलसी की समतुल्यता की रिपोर्ट बनानी होती है जिसके लिए भी राज्य सरकार ने आदेश जारी कर रखा है समतुल्यता नहीं बैठने के बावजूद भी इतना बडा मुआवजा देकर न्यास के राजकोष को ऐसे सहनिय हानी पहुचाई है।
भ्रष्टाचारी की अगली रिपोर्ट नगर विकास न्यास की आप के समक्ष होगी जिसमें 1992 से 1997 तक के निरस्त भूखण्डों को प्रशासन शहरों की ओर के परिपत्र का सहारा लेकर अपजीकृत दस्तावेजों के आधार पर पट्टे जारी करने बाबत् का इस्तमाल कर निरस्त भूखण्डों को पुनः जीवित कर कार्मिकों व दलालों ने संविदाकर्मियों व रिश्तेदारों के नाम कराकर किया बडा भ्रष्टाचारी काण्ड…?