भरतपुर। राज्य के पहले एवं एक मात्र सरकारी यूनानी मेडिकल कॉलेज में अब तक भर्ती नियम भी नहीं हैं। यहां पर डेपुटेशन, संविदा एवं ठेका प्रथा पर स्टाफ कार्यरत है। इस कारण अव्यवस्थाएं व्याप्त हैं। जबकि इस साल 2019-20 के सत्र के मुकाबले सबसे अधिक प्रवेश हुए हैं। इस चिकित्सा पद्धति के प्रति रुझान बढ़ रहा है। हर वर्ग के स्टूडेंट्स यहां अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन अब भी फैकल्टी पूरी नहीं है। 32 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 6 पद खाली हैं।
टोंक जिले के चराई स्थित मेडिकल कॉलेज परिसर में एक अस्पताल 2020 से संचालित है। वहां पर मरीज नहीं आने एवं अव्यवस्थाओं के कारण चिकित्सा उपकरण भी खराब हो रहे हैं। साथ ही इमारत में भी बिना किसी उपयोग के दर्रारें भी नजर आने लगी हैं। यूनानी मेडिकल कॉलेज में 2019-2020 में सबसे अधिक 63 स्टूडेंट्स ने बीयूएमएस में प्रवेश लिया था। इस बार यदि ईडब्ल्यूएस की 13 सीटों पर भी प्रवेश दिए जाने की अनुमति मिल गई होती, तो इस बार भी सबसे अधिक सीटों पर प्रवेश होता। ये कॉलेज युसूफपुरा चराई में 2016 से संचालित हो रहा है।
यह सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय जोधपुर के अधीन है। यहां करीब 10 साल में पीजी कक्षाएं भी शुरू नहीं हो सकी हैं। यूजी के लिए भी पूरी व्यवस्थाएं नहीं हो पाई हैं। कॉलेज प्राचार्य डाॅ. इरशाद खान ने बताया कि सभी कमियों को पूरा करने एवं आवश्यक व्यवस्था के लिए उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है। उल्लेखनीय है कि इस कॉलेज को सीधे राज्य सरकार के अधीन करने की मांग की जाती रही है। ताकि यहां स्टूडेंट्स को 90 हजार फीस नहीं देनी पड़े।
बालिका छात्रावास का नहीं हो सका अब तक संचालन
बालिका छात्रावास का अब तक संचालन शुरू नहीं हो पाया है। कॉलेज शहर से दूर होने एवं आवश्यक व्यवस्थाएं नहीं होने के कारण आगे भी इसका संचालन फिलहाल होना मुश्किल बना हुआ है। एमबीबीएस करने वालों की वार्षिक फीस महज 5 हजार के करीब होती है। लेकिन यहां पर भारी फीस देने के बाद भी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।