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November 22, 2024 10:25 pm


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‘महिला का एक्स्ट्रा – मैरिटल अफेयर तो गुजारा भत्ते की हकदार नहीं’ : तलाक के एक केस में कोर्ट का फैसला, सरकारी कर्मचारी पति से मांगे थे 40 लाख

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

जयपुर । महिला का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर (शादी के बाद गैर पुरुष से संबंध) है तो वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है। एक केस में जयपुर की फैमिली कोर्ट-1 ने यह फैसला सुनाया। तलाक से जुड़े मामले में कोर्ट ने पत्नी के स्थायी गुजारा भत्ता की याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि महिला का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर था।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा- पत्नी शादी के बाद भी एडल्ट्री (गैर पुरुष से अवैध संबंध) में रही। ऐसे में कानून के तहत वह स्थायी भरण पोषण का हक नहीं रखती है। दरअसल, पत्नी ने पति से स्थायी भरण पोषण के तहत 40 लाख रुपए की मांग की थी। पत्नी का कहना था कि पति की सरकारी नौकरी है। उसके पास पर्याप्त संपत्ति है। ऐसे में उसे स्थायी भरण पोषण दिलाया जाए।

वहीं, पति ने पत्नी के प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा था कि वह केवल एक क्लर्क है। उस पर पूर्व दिवंगत पत्नी से पैदा हुए बेटे और बीमार मां की जिम्मेदारी है। स्वयं भी बीमार रहता है। यह राशि देने में वह सक्षम नहीं है। पति ने कहा- पत्नी शादी से पहले से ही पड़ोस में रहने वाले युवक से प्रेम करती थी। शादी के बाद भी उसने संबंध जारी रखे। दोनों का कोर्ट में क्रूरता और एडल्ट्री के आधार पर ही 2019 में तलाक हो चुका है। इस पर अदालत ने पत्नी के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।

पत्नी के प्रेमी ने चाकू से किया था हमला

मामले से जुड़े वकील डीएस शेखावत और रजनी अग्रवाल ने बताया- जयपुर के रहने वाले युवक-युवती की शादी 18 नवंबर 1991 को हुई थी। शादी के बाद दोनों के एक बेटी हुई। पत्नी के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के चलते शादी के बाद से ही दोनों के बीच झगड़े होने लगे।

पत्नी के प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए पति ने कहा- मेरी पत्नी के शादी से पूर्व ही उसके पड़ोस में रहने वाले युवक से प्रेम संबंध थे। लेकिन, परिजनों ने उसकी जबरन मुझसे शादी कर दी। शादी के बाद भी पत्नी ने अपने प्रेमी से बात करना नहीं छोड़ा। मैंने पत्नी को कई बार समझाया, लेकिन वह नहीं मानी। 19 दिसंबर 1993 को उसने प्रेमी के साथ मिलकर मुझ पर चाकू से हमला करवा दिया। इसकी एफआईआर भी वैशाली नगर थाने में दर्ज करवाई गई थी। पुलिस ने आरोपी युवक को हथियार के साथ गिरफ्तार करके उसके खिलाफ चालान भी पेश किया था।

पत्नी के प्रेमी ने संबंधों को कबूला

पति ने कहा- इस घटना के बाद पत्नी मायके चली गई। वहां उसने मुझे फंसाने के लिए 15 जून 1996 को अपने प्रेमी और भाइयों के साथ मिलकर बॉयफ्रेंड के ऊपर तेजाब डालने की साजिश रची। इसके बाद सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती प्रेमी ने इस बात को स्वीकार किया कि वह पिछले पांच साल से पड़ोस में रहने वाली युवती से प्रेम करता है। लड़की भी उसे चाहती थी। इसकी भनक युवती के भाइयों को लग गई थी। उन्होंने युवती की शादी वैशाली नगर में रहने वाले युवक से कर दी। लेकिन, शादी के बाद भी हम मिलते रहे। इसलिए युवती के पति और भाइयों ने मुझ पर तेजाब डालकर जलाने की कोशिश की है।

कोर्ट ने माना पत्नी ने पति के साथ शारीरिक और मानसिक क्रूरता की

अदालत ने अपने आदेश में कहा- पत्नी केवल पति की आमदनी के संबंध में दस्तावेज पेश कर सकी। पति की संपत्ति का कोई ब्योरा पत्नी नहीं दे पाई। पत्नी ने पति के खिलाफ दहेज हत्या और घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज कराया था। जिस पर अदालत पहले ही पति को दोष मुक्त कर चुकी है। इससे यह साबित होता है कि पत्नी ने पति को झूठे केस में फंसाकर क्रूरता की है। पत्नी 20 साल से पति से अलग रह रही है। क्रूरता और एडल्ट्री के आधार पर ही अदालत ने 16 अगस्त 2019 को तलाक की डिक्री पारित की। ऐसे में यह साबित होता है कि इस शादी में पति के साथ पत्नी ने शारीरिक और मानसिक क्रूरता की है। वहीं वह शादी के दौरान भी एडल्ट्री में रही है।

क्या होता है गुजारा भत्ता?

दरअसल, पारिवारिक विवाद में दो तरह से गुजारा भत्ते के लिए प्रार्थना पत्र दायर किए जा सकते हैं। पारिवारिक विवाद मामलों के जानकार एडवोकेट डीएस शेखावत बताते हैं कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 के तहत माता-पिता अपनी संतान से, पत्नी अपने पति से और संतान अपने परिजनों से मासिक भरण पोषण लेने के लिए प्रार्थना पत्र दायर कर सकते हैं।

वहीं हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत तलाक, विवाह शून्य कराने की स्थिति और दांपत्य जीवन पुनर्स्थापित करने की याचिका के लंबित रहने के दौरान इस धारा के तहत पत्नी अपने पति से मासिक गुजारा भत्ता मांग सकती है। इसके लिए जरूरी है कि पत्नी के पास आय का कोई साधन नहीं हो। वहीं अगर वह आय करती भी है तो वह पति की तुलना में कम हो। इन दोनों स्थितियों में अदालत पति के स्टेटस के बराबर पत्नी को गुजारा भत्ता दिलाने के आदेश दे सकती है।

Author: JITESH PRAJAPAT

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