जयपुर ।ज्ञात रहे की वर्तमान में राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक प्रमोशन के लिए पदोन्नति परीक्षा पास करने, परीक्षा पास करने के बाद आउटडोर परीक्षा उत्तीर्ण करने एवं सेवा अभिलेख में निर्धारित अंक प्राप्त करने का प्रावधान है। पदोन्नति की इस प्रक्रिया में समय ज्यादा लगता है व कई बार परीक्षा के दौरान किसी नियम को लेकर पुलिस कार्मिक न्यायालय में चुनौती दे देते हैं तो जिससे भी अधिक समय लग जाता है।
साथ ही अन्य सभी विभागों में पदोन्नति विभागीय समिति की सिफारिश पर होती है।
इस प्रकार वर्तमान नीति के आधार पर पुलिस कार्मिकों की समय पर पदोन्नति नहीं हो पाती है। जिसके चलते कई पुलिस कर्मचारीयों को कांस्टेबल से सेवानिवृत्ति लेकर संतुष्टि करनी पड़ती हैं । हमारे देश में पुलिस सुधार पर गठित राष्ट्रीय पुलिस आयोग के तहत धर्मवीर आयोग ने कांस्टेबुलेरी की सेवा दशाओं में सुधार के लिए विशेष सिफारिश की थी जिस पर अमल करने की जरूरत है।
गत सरकार में इस फाइल को गति मिली थी, परंतु आचार संहिता लगने से आगे कोई नियम नहीं बनाए जा सके एवं वर्तमान में यह पत्रावली सरकार के पास विचाराधीन हैं।
यह भी है अन्य मांगे
राजस्थान पुलिस के कार्मिक जिसमें कांस्टेबल लंबे समय से ग्रेड पे 3600 करने की मांग कर रहे हैं। गत सरकार में लगभग अधिकांश विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत को पत्र लिखे थे।
साथ ही स्टेशनरी भत्ता, पौष्टिक भोजन के मैस भत्ता बढ़ाने, बच्चों के लिए अध्ययन भत्ता, मोटर साइकिल भत्ता , बच्चों के आर्मी की तर्ज स्कूल बस की सुविधा आदि को लागू करने की दिशा में सरकारों को और काम करना है।
इस प्रकार पुलिस कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक गांधीवादी तरीके से मैस का बहिष्कार कर रहें है , क्योंकि सरकार तक इनकी मांग पहुंचने के लिए न तो कोई एसोसिएशन है और न ही यह हड़ताल ही कर सकते हैं। जिसका मुख्य कारण पुलिस बल अधिकार ,1966 , पुलिस सेवा नियम एवं अनुशासित बल होना है।