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November 22, 2024 1:32 pm


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जिला परिषद अलवर : राज्य सूचना आयोग के निर्देश पर भी नहीं दी जिला स्थापना समिति की मीटिंग मिनट्स

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

जिला परिषद अलवर के खेल निराले हैं । यहां ना तो राज्य सरकार के आदेश चलते हैं न हीं सूचना आयोग जैसी महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्थाओं के । ताजा मामला सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत राज्य सूचना आयोग की ओर से 27 सितंबर को दिए गए फैसले से जुड़ा है।

इसमें आवेदक चंदन कौशिक द्वारा जिला परिषद अलवर की जिला स्थापना समिति के स्थाई सदस्य जिला कलक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी से सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत पिछले दो सालों की बैठक करवाई विवरण की प्रति की मांग की थी। दोनों अधिकारियों ने अपने कार्यालय में मीटिंग मिनट्स नहीं होने की जानकारी देते हुए आवेदन जिला परिषद अलवर को अंतरित कर दिए । जिला परिषद अलवर ने इन आवेदनों पर कोई कार्यवाही नहीं की । आवेदक ने जिला प्रमुख के सामने 30 दिन के बाद दूसरी अपील लगाई । यहां से भी कोई उत्तर नहीं मिलने पर राज्य सूचना आयोग में यह मामला गया जिसमें 27 सितंबर 2024 को पेशी निर्धारित की गई । पेशी से 10 दिन पहले जिला परिषद अलवर ने राज्य सूचना आयोग को बताया कि आवेदक को व्यक्तिगत रूप से सूचना दी गई है जबकि पेशी के लिए राज्य सूचना आयोग के नोटिस में साफ लिखा था कि 21 दिन में आवेदक को उसके पते पर रजिस्टर्ड डाक से सूचना भिजवाई जाए । आवेदक चंदन कौशिक का कहना है कि जिला परिषद ने व्यक्तिगत रूप से कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई । न तो उससे सूचना देने के लिए कोई संपर्क किया गया न हीं व्यक्तिगत सूचना लेने के लिए कोई पत्र लिखा गया । वह सूचना लेने जिला परिषद भी नहीं गया । राज्य सूचना आयोग को गुमराह करने के लिए जिला परिषद अलवर ने यह उत्तर भेजा । रसीद पर उसके हस्ताक्षर नहीं है। इसके बाद 27 सितंबर को राज्य सूचना आयोग ने दोनों अपीलों के फैसले जारी करते हुए जिला परिषद अलवर को 21 दिन में आवेदक को सूचना उपलब्ध कराने के लिए 30 सितंबर को पत्र लिखा । आवेदक चंदन कौशिक का कहना है कि एक महीने से भी ज्यादा समय की अवधि गुजर गई लेकिन जिला परिषद ने अब भी जिला स्थापना समिति की बैठक कारवाई विवरण की प्रति नहीं दी है । विभाग के ही अन्य लोगों का कहना है कि पिछले दो या तीन सालों में जिला परिषद अलवर की जिला स्थापना समिति में मनमाने तरीके से विधि विरुद्ध निर्णय लिए गए । कई लोगों की गलत नियुक्ति भी हुई । कई भुगतान संबंधी मामले भी परिवाद के रूप में दर्ज हुए। सबसे ज्यादा मामले भर्ती से जुड़े थे। इन्हीं सब मामलों को छुपाने के लिए जिला परिषद के कुछ कर्मचारी अधिकारी न तो आवेदक को सूचना दे रहे हैं और ना ही राज्य सूचना आयोग के निर्देशों पर कार्रवाई कर रहे हैं ।

Author: AKSHAY OJHA

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