सिरोही। शहर के एक बड़े इलाके में रेबीज ग्रस्त कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। शहर में 105 रेबीज ग्रस्त कुत्ते घूमने से लोगों में भय का माहौल है। सिरोही जिला अस्पताल में 24 घंटे में 10 और ट्रॉमा सेंटर में 3 पीड़ित एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचे। इसके साथ ही गायों और सांडों को भी काटने की जानकारी सामने आई है। वहीं, जिला अस्पताल में 1 से 28 नवंबर तक 169 और ट्रॉमा सेंटर में 70 से अधिक डॉग बाइट के केस आए हैं। ऐसे में रेबीज से ग्रसित कुत्तों को बोरों में डाल कर शहर से बाहर छोड़ा जा रहा है। जानकारी के अनुसार सिरोही जिला मुख्यालय के एक बड़े भाग में रेबीज ग्रसित कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बुधवार शाम 5 बजे तक रेबीज ग्रसित कुत्तों की संख्या 70 थी, जो गुरुवार तक बढ़कर 105 के पार कर गई। शहर के पैलेस रोड, मोची वाडा, सदर बाजार, नीलमणि चौक, छिपावली, मोदी लाइन चौराहा, आयुर्वेदिक अस्पताल, राम झरोखा, राजमाता धर्मशाला के आसपास और भाटकड़ा चौराहा तक रेबीज ग्रसित कुत्तों का आतंक है। लोगों में भय का माहौल है। लोग घर से निकलते ही सावधान हो जाते हैं कहीं कोई कुत्ता नहीं मिल जाए। शहर में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाने वाले एक समाजसेवी ग्रुप के सदस्य लगातार इन कुत्तों पर निगाह रख रहे हैं। इस ग्रुप के सदस्यों ने तीन खतरनाक रूप से आक्रोशित रेबीज ग्रसित कुत्तों को पकड़कर बुधवार को नगर परिषद के कर्मचारियों के हवाले किया था। परिषद के कर्मचारी उन्हें लेकर डंपिंग यार्ड खांबल गांव पहुंचे, लेकिन गांव वालों ने एकजुट होकर कर्मचारियों को भगा दिया। इस पर कर्मचारी उन्हें लेकर वापस नगर परिषद पहुंचे। नगर परिषद के गेट के बाहर बने एक कमरे में एक पिंजरे के अंदर उन्हें रखा गया है।
शहर के इन क्षेत्रों में फैले रेबीज ग्रस्त कुत्ते
सिरोही व्यापार मंडल अध्यक्ष भरत छिपा ने बताया कि शहर के पैलेस रोड, मोची वाड़ा, सदर बाजार, नीलमणि चौक, छिपावली, मोदी लाइन चौराहा, आयुर्वेदिक अस्पताल, राम झरोखा, राजमाता धर्मशाला के आसपास और भाटकड़ा चौराहा तक रेबीज पीड़ित कुत्तों का क्षेत्र बन गया है। बुधवार शाम तक 70 कुत्ते रेबीज पीड़ित थे। एक दिन में ही इनकी संख्या 35 बढ़कर गुरुवार तक 105 हो गई। अगर ऐसे ही हालत रहे तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है।
गायों और सांडों पर भी हमला
समाजसेवी सुरजीत सिंह ने बताया कि बुधवार दोपहर के बाद रेबीज ग्रस्त कुत्तों ने गायों और सांडों पर भी हमला शुरू कर दिया है, जिससे यह स्थिति और भी ज्यादा नाजुक हो रही है। उन्होंने कहा कि इन कुत्तों को वन क्षेत्र से भी दूर रखना चाहिए ताकि वन्य जीव पशुओं पर इनका कोई असर नहीं पड़े। अगर रेबीज ग्रसित किसी भी कुत्ते को कोई वन्य जीव खा ले तो उसका सीधा असर वन्य जीवों पर पड़ेगा।
नवंबर में अस्पताल पहुंचे डॉग बाइट के 239 मरीज
जिला अस्पताल में 1 नवंबर से 28 नवंबर की शाम तक में 169 मरीज पहुंचे, जबकि ट्रॉमा सेंटर में 70 से अधिक मरीज एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगवाने के लिए पहुंच चुके हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान जिला अस्पताल में 10 और ट्रॉमा सेंटर में तीन पीड़ित टी रेबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचे।