जयपुर। आंध्र प्रदेश के तिरूपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट वाली घटना के बाद राजधानी जयपुर के प्रमुख मंदिरों ने भी सर्तकता बरतनी शुरू कर दी है। मंदिरों ने अब भोग और अन्य प्रसादी के आयोजन के लिए उपयोग में लिया जाने वाला घी बाजार से न मंगवाकर सीधे जयपुर डेयरी से मंगवाना शुरू कर दिया है। पिछले 2 माह से जयपुर डेयरी में जयपुर समेत प्रदेश के दूसरे जिलों से लगातार घी की मांग आनी शुरू हो गई। सरकारी डेयरी जयपुर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि. (जयपुर डेयरी) के एमडी मनीष फौजदार ने बताया- डेयरी में आराध्य देव गोविंददेव जी मंदिर के अलावा खोले के हनुमानजी मंदिर, चौंमू के सामोद स्थित वीर हनुमान मंदिर समेत जयपुर के आसपास के प्रमुख बड़े-छोटे मंदिरों से घी की मांग आने लगी है। एमडी ने बताया- मंदिर प्रशासन को घी की सप्लाई सीधे प्लांट से डेयरी की गाड़ियों में की जाती है। वहीं मंदिर प्रशासन के लोग भी यहां प्लांट में आकर घी के टिन लेकर जा रहे है। उन्होंने बताया कि इन दिनों सभी मंदिरों से हमारे यहां हर माह करीब 100 टिन से ज्यादा घी की मांग आ रही है।
आपको बता दें कि इसी साल सितंबर में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने विश्व प्रसिद्ध मंदिर तिरुपति बालाजी के लड्डुओं में उपयोग होने वाले घी में मिलावट होने की बात कही थी। उन्होंने लैब से आई ये रिपोर्ट का हवाला देकर ये आरोप लगाए थे।
प्रसादी में बढ़ने लगी मांग
एमडी ने बताया- हनुमान जी, बालाजी मंदिरों में होने वाली प्रसादी (दाल, बाटी, चूरमा) के लिए सरस घी की मांग प्राथमिकता से की जाने लगी है। उन्होंने बताया कि जयपुर डेयरी में घी समेत अन्य दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता के लिए जो स्टेण्डर्ड मानक निर्धारित है वह फूड सेफ्टी एंड स्टेडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के मानक से भी ऊपर है। यही कारण है कि जयपुर डेयरी से ट्रेटा दूध समेत अन्य दुग्ध उत्पाद की मांग उत्तर भारत के तमाम मिलिट्री स्टेशनों पर रहती है।
नाथद्वारा से आई मांग
डेयरी के ही एक अधिकारी ने बताया कि राजसमंद के नाथद्वारा मंदिर ट्रस्ट ने जयपुर डेयरी प्रशासन से सीधे मंदिर में घी सप्लाई करवाने की मांग की है। हालांकि डेयरी प्रशासन ने सप्लाई देने से इंकार कर दिया है। क्योंकि नाथद्वारा मंदिर राजसमंद, भीलवाड़ा डेयरी संघ के क्षेत्राधिकारी में आता है।