बारां। जिले में पीएचईडी विभाग की अनदेखी के चलते शहर में पेयजल व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है। अमृत पेयजल स्कीम के तहत मजरावता इटेकवेल का कार्य तय समय से चार साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। यहां प्लांट की क्षमता के मुकाबले पेयजल सप्लाई नहीं मिलने से शहर में पेयजल आपूर्ति नहीं सुधर पाई है। शहर में पेयजल सप्लाई में सुधार के लिए सरकार की ओर से अमृत योजना के तहत करीब 78 करोड़ की लागत से कार्य करवाए गए हैं। इसके तहत पेयजल के लिए 12 टंकियां, 370 किमी में मुख्य और राइजिंग लाइन डालने का कार्य हुआ है। योजना के तहत कार्य की शुरुआत 2017 में हुई थी, जो साल 2019 में पूरी करनी थी। संवेदक की ओर से काफी धीमी रफ्तार से काम किया गया। जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते योजना का कार्य तय अवधि से 5 साल अधिक का समय बीतने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। अभी भी कई जगह लाइन बिछाने, कनेक्शन देने का कार्य बाकी है। स्थिति यह है कि शहर की कई कॉलोनियों में महज 15 से 20 मिनट ही सप्लाई मिल रही है।
हीकड़ दह से मिलता है 170 लाख लीटर पानी
अभी बारां शहर में पेयजल सप्लाई के लिए शहर में वर्तमान में पार्वती नदी पर स्थित हीकड़ दह से पेयजल आपूर्ति होती है। यहां से प्रतिदिन 170 लाख लीटर पेयजल आपूर्ति होती है, लेकिन नई टंकियों में सप्लाई के लिए पार्वती नदी पर मजरावता दह पर इंटेकवेल का निर्माण करवाया है। मजरावता प्लांट की क्षमता 80 लाख लीटर प्रतिदिन की है, लेकिन अभी यहां से सिर्फ 30 लाख लीटर पानी ही मिल पा रहा है। पीएचईडी एक्सईएन प्रमोद झालानी ने बताया कि मजरावता इंटेकवेल पर कुछ तकनीकी खामियां आ गई थी। ऐसे में यहां दोबारा से इंस्टॉलेशन का कार्य चल रहा है। जल्द ही यहां से पूरी क्षमता से पेयजल सप्लाई मिल सकेगी।