Explore

Search

July 6, 2025 12:00 pm


सवाई माधोपुर में रणथंभौर दुर्ग की नहीं हो रही सार-संभाल : जगह-जगह से टूटीं दीवारें, आधे से ज्यादा भवन हुए खंडहर

Picture of Pankaj Garg

Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

सवाई माधोपुर। ‘मैं रणथंभौर दुर्ग हूं। मुझ में बुलंद दरवाजे, मंदिर, पानी के टैंक हैं। मेरी अजेय ऊंची दीवारों के लिए मैं अपनी अलग पहचान रखता हूं। मैंने कई आक्रमण देखे और झेले। 1301 ई. में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण उनमें से एक था। मेरे समृद्ध इतिहास के कारण ही साल 2013 में मुझे यूनेस्को ने विश्व विरासत घोषित कर दिया था, लेकिन मेरी सार-संभाल ठीक से नहीं हो रही है।’

दुनियाभर में विख्यात सवाई माधोपुर में स्थित रणथंभौर दुर्ग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। रणथंभौर दुर्ग का प्राचीर (दीवार) जगह जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है। दुर्ग के लगभग आधे से ज्यादा भवन खंडहर हो चुके हैं। पुरातत्व विभाग के अधिकारी विनय गुप्ता का कहना है कि विभाग के पास जितना बजट आता है। उसके अनुसार ही स्मार को को रख रखाव किया जाता है। बजट आने पर ही रणथंभौर दुर्ग का जीर्णोद्धार संभव है।

कई आक्रमण झेल चुके दुर्ग को निहारने दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। लड तिरिया तेल, हमीर हठ, चढ़ै न दूजी बार की कहावत आज तक राजस्थान के अंचल में कह जाती है। दुर्ग से सटे नेशनल पार्क में आने वाले पर्यटक किले के समृद्ध इतिहास से भी रूबरू होते हैं। ऐसे समृद्ध इतिहास का गवाह रहा रणथंभौर दुर्ग अब कमजोर हो रहा है।

8वीं शताब्दी में चौहान शासक राजा जयंत ने बनवाया था

रणथंभौर दुर्ग रण और थम नामक 2 पहाड़ियों के बीच स्थित है। जिसके चलते इसका नाम रणथंभौर पड़ा। इतिहासकार हीराचंद ओझा के अनुसार रणथंभौर दुर्ग अंडाकृति वाले एक ऊंचे पहाड़ पर स्थित है, जो 7 पहाड़ियों के बीच स्थित है। जिसकी वजह से इसे गिरी दुर्ग वन दुर्ग की श्रेणी में रखा गया है।

इस दुर्ग का निर्माण 8वीं शताब्दी में चौहान शासक राजा जयंत ने कराया था। दुर्ग में नौलखा दरवाजा, तोरण दरवाजा/अंधेरी दरवाजा, हाथीपोल, सूरजपोल, गणेशपोल स्थित है। दुर्ग में हम्मीर महल, 32 खम्भों की छतरी, लक्ष्मीनारायण मन्दिर, त्रिनेत्र गणेश मन्दिर, हम्मीर कचरी, बादल महल है।

Author: JITESH PRAJAPAT

Leave a Comment

Ads
Live
Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर