करौली। जिले में गणगौर पर्व पर सोमवार को महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया। महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर विशेष पूजा की और अमर सुहाग की कामना की। गणगौर के सिंजारा कार्यक्रम में छोटी बालिकाओं और महिलाओं ने दूल्हा-दुल्हन का भेष धारण किया। जगह-जगह ईशर गणगौर की अगवानी कर स्वागत किया गया।
नमिता शर्मा के अनुसार होलिका दहन के दूसरे दिन से शुरू होने वाला यह त्योहार 16 दिन तक चलता है। यह चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक मनाया जाता है। शीतलाष्टमी के बाद से घर-घर गणगौर और बिनौरा देने की परंपरा शुरू हो जाती है। महिलाएं परंपरागत गीत गाती हैं, जैसे ‘नखराली महारी गणगौर’ और ‘मार्च महीना निकलेगी गणगौर’। वे काजल, मेहंदी, हल्दी और सिंदूर की बिंदी लगाकर अमर सुहाग की कामना करती हैं।
प्रतिदिन गणगौर की पूजा-अर्चना और श्रृंगार किया जाता है। महिलाएं मंगल गीतों के साथ पूजन कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस तरह वे भारतीय संस्कृति को जीवंत रख रही हैं। कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने ईशर गणगौर की बिनौरी निकाली और गीतों पर नृत्य किया। पूरे जिले में त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।