भरतपुर। पथैना गांव के चर्चित तिहरे हत्याकांड में पीड़ित परिवार को 2 साल 8 महीने बाद न्याय मिल गया है। शुक्रवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहित द्विवेदी ने चार बेटों और उनके पिता को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही पांचों पर 50-50 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। उल्लेखनीय है कि 13 अक्टूबर 2022 को पथैना गांव में आरोपियों ने पुलिकर्मी, उसके पिता और भाई की गोली और लाठी-डंडो से हत्या कर दी थी। अपर लोक अभियोजक गुटियारी सिंह ने बताया कि गांव पथैना निवासी यदुराज सिंह ने 14 अक्टूबर 2022 को दिए गए पर्चा बयान के आधार पर मामला दर्ज किया था। जिसमें उसने बताया कि करीब दो-तीन माह पूर्व उसका बड़ा भाई, अपनी बहन के साथ खेडली बाजार में खरीदारी करने गया। जहां धर्मेंद्र ने उनके साथ छेड़खानी की तो भाई ने मना किया तो उसके साथ मारपीट की। इसी रंजिश को लेकर उसके भाई किशन सिंह को बाजार में धर्मेंद्र,अरविंद, जितेंद्र, सत्येंद्र, रविंद्र ने घेर लिया और उसे जान से मारने की कोशिश की। इस बात का उलाहना देने व समझने के लिए 13 अक्टूबर को उसके पिता विजेंद्र सिंह भाई हेमू तथा किशन सिंह मोटरसाइकिल से उनके घर गए।
जहां मोहन सिंह और उसके लड़के अरविंद जितेंद्र धर्मेंद्र सतेंद्र बगैरा ने सरिया कट्टा लाठी से उन पर हमला कर दिया। हल्ला हेल की आवाज सुनकर वह मौके पर पहुंचा तो वहां हेमू ,किशन सिंह तथा उसका पिता विजेंद्र सिंह जमीन पर पड़े हुए थे। मोहन सिंह बगैराह उसके पिता और भाइयों पर हथियारों से ताबड़तोड़ वार कर रहे थे। और फायरिंग कर दी। जिससे उनकी तीनों की हत्या हो गई। उसने अपने भाइयों को उठाने की कोशिश की तो इन लोगों ने उस पर लाठियां और सरियों से हमला कर दिया। वह मुश्किल से जान बचाकर भागा।
सुनवाई के दौरान 27 गवाह और 80 दस्तावेज पेश किए… न्यायाधीश मोहित द्विवेदी ने 76 पेज का फैसला लिखा है। परिवादी के अधिवक्ता प्रतीक श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले में 27 गवाह और 80 दस्तावेज पेश किए गए। अभियुक्त गण की ओर से चार दस्तावेज पेश किए गए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात अभियुक्त गण सत्येंद्र, रविंदर, धर्मेंद्र, अरविंद और उनके पिता मोहन सिंह को तीन जनों की हत्या करने के आरोप प्रमाणित पाए गए। जिस पर प्रत्येक को उम्रकैद एवं 50 हजार रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया है। इस केस में आठ आरोपियों को नामजद किया गया, जिनमें एक नाबालिग था। पुलिस ने पांच आरोपियों के खिलाफ वैर कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। वहीं नाबालिग को बाल संप्रेषण गृह में रखा गया था। जिसके खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड में केस दाखिल किया गया। नाबालिग की समझ वयस्कों के बराबर पाए जाने पर मामला बालक न्यायालय (सेशन कोर्ट) को भेज दिया गया। जहां गत 4 अप्रैल को मामले की सुनवाई पूरी हो गई। कोर्ट फैसले के लिए 8 अप्रेल की तारीख तय कर दी थी। ऐसे में अपचारी नाबालिग पेशी से लौटने पर संप्रेषण गृह में रह रहे एक अन्य किशोर के साथ खिड़की तोड़कर फरार हो गया। जिसे पुलिस ने बाद में पकड़ा लिया। उसे फरार होने में मदद करने के आरोप में संप्रेक्षण गृह के गार्डों को भी गिरफ्तार किया गया। नाबालिग के खिलाफ फैसला आना बाकी है।