आयुर्वेद विभाग की उदासीनता कई चिकित्सालय में भरा पानी तो कई स्टाफ की कमी,वैकल्पिक व्यवस्था से लगा रखे चिकित्सक।
अधिकतर चिकित्सालयो में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का पद रिक्त।
शाहपुरा@(किशन वैष्णव)आयुर्वेदिक चिकित्सा दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है और भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में से एक है।जन आरोग्य योजना से सरकार ने गरीब परिवार की सेहत की फिक्र की है पर जिम्मेदार हैं कि सरकार की मंशा को लेकर गंभीर नहीं है। आयुर्वेदिक चिकित्सालयो का हाल अब लचीला होता जा रहा है और धीरे धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में ये व्यवस्थाएं कमजोर होती जा रही है।क्युकी आयुर्वेद विभाग लचीली व्यवस्था के बीच लड़खड़ाती और पानी से भरी बिल्डिंग,खस्ताहाल और पुरानी बिल्डिंग,डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की कमी की सुध नहीं ले रहा है।किसी गांव में चिकित्सक की कमी ग्रामवासियों को खल रही है तो किसी गांव में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नही है और किसी गांव में बारिश में पानी छत से टपक रहा है।ऐसी व्यवस्थाओं के बीच सरकार और विभाग अपनी आयुर्वेदिक दवाइयों और चिकित्सा सुविधाओं को आमजन तक पहुंचाने के लिए विवश है साथ ही कर्मचारी भी एक कर्मचारी दो या अत्यधिक जगह अतिरिक्त कार्यभार लेकर अपनी नौकरी कर रहे हैं।क्षेत्र के तस्वारिया बांसा ग्राम पंचायत के मुख्य बाजार तालाब के नजदीक स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के कमरों और बरामदे में बारिश का पानी भर गया है जिससे वहा कार्यरत कर्मचारियों को राजकीय प्राथमिक विद्यालय की बिल्डिंग में चिकित्सालय को संचालित करने को मजबूर होना पड़ा।तालाब के पास स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय में करीब दो कमरे और एक बरामदा हैं जिसमे छोटी छोटी दिवारे बनी हुई हैं और और गांव की सड़क और चिकित्सालय परिसर की ऊंचाई समान है ना तो सड़क से बरामदा ऊंचा है और ना बरामदे से कमरे ऊंचे है सभी समान स्थिति में है जिससे बारिश और तालाब का पानी रिस रिस कर अस्पताल परिसर और कमरों में भर गया।जिस कारण से करीब 2 महीने से चिकित्सालय को राजकीय प्राथमिक विद्यालय की पुरानी बिल्डिंग में स्थानांतरित कर वैकल्पिक व्यवस्था से चिकित्सालय संचालित किया जा रहा है।मामले में सरपंच चांदी देवी गुर्जर ने बताया की चिकित्सालय परिसर में पानी भरने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था से चिकित्सालय को रिक्त पड़ी विद्यालय की बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया।नए चिकित्सालय के लिए पंचायत ने डेढ़ वर्ष पूर्व ही भूमि भी आवंटित कर दिया है लेकिन अभी तक विभाग द्वारा फंड नही दिया गया।उधर खामोर पंचायत में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की बिल्डिंग पुरानी होने की वजह से चुना गिरने लगा है तथा चिकित्सालय केवल नर्स के भरोसे संचालित हो रहा है डॉक्टर और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का पद रिक्त हैं।क्षेत्र के बिलिया पंचायत में आयुर्वेदिक चिकित्सालय नही है।वही तहनाल सरपंच गोविंद कंवर ने बताया की ग्राम पंचायत में स्थित आयुर्वेदिक अस्पताल में डॉक्टर 3 दिन बैठता है और 3 दिन अन्यत्र ड्यूटी लगाई हुई है चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और डॉक्टर का पद रिक्त हैं।हमारे संवादाता ने जब भीलवाड़ा जिला आयुर्वेद अधिकारी ओम प्रकाश नागर से बात की तो उन्होंने बताया की खाली पद के लिए तो सरकार वेकेंसी निकालेगी तब भरे जायेंगे।हमारे पास जितने चिकित्सक या स्टाफ है इधर उधर व्यवस्था करके लगा रखे हैं अभी हमारे पास चिकित्सकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की कमी है ।वही तस्वारीया बांसा में चिकित्सालय की जगह अलॉटमेंट की बात पूछी तो उन्होंने कहा की मुझे इसकी जानकारी नही है में फाइल और भिजवा देता हूं। खामोर आयुर्वेदिक चिकित्सालय की मरम्मत के लिए 15 दिन में कार्य शुरू होना बताया गया।
Author: AKSHAY OJHA
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