गुरलाँ। जिले के गंगापुर उपखंड में भरक ग्राम पंचायत स्थित भरका माता मंदिर की देश में पहचान है। भरका माता के नाम से प्रदेश के साथ ही गुजरात, मुम्बई व दक्षिण भारत में गंगापुर व सहाड़ा क्षेत्र के सैकड़ों लोग आइसक्रीम व पाव भाजी की लॉरियां संचालित कर परिवार का पालन पोषण करती है जिस प्रकार से सांवरिया सेठ के नाम से व्यापार चलते वैसे ही भरका माता के नाम से देश भर में व्यापार संचालित है।भरका माता से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। गंगापुर के भीलवाड़ा राजमार्ग स्थित लाखोला चौराहे से करीब 8 किलोमीटर दूर भरक ग्राम में स्थित भरत माता का मंदिर है। मेवाड़ क्षेत्र का यह शक्तिपीठ खासा मशूहर है। देश के कोने-कोने से लोग यहां पर दर्शन को साल भर आते हैं । भरक माता अभ्रक खनन व्यवसायियों की ईष्ट देवी रही है। बताया जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व राजा भर्तहरि ने यहां पर कठोर तपस्या कर माता की मूर्ति की स्थापना की थी। यहां पहाडी पर स्थित गुफा में पुराने जमाने में शेर रहा करते थे। माता की पहाड़ी के नीचे सैकड़ों ठठेरा परिवार निवास करते थे। ठठेरो के बर्तन बनाने की गूंज दूर-दूर तक सुनाई देती थी। यहां से चौरासी नौपत की आवाज एक साथ सुनाई देती थी। माता का भंडारा साल में एक बार खोला जाता है।
गोशाला में आठ सौ गो वंश
पहाड़ी के निकट गोशाला है जहां करीब आठ सौ गो वंश हैं। भरकादेवी विकास समिति की ओर से मंदिर के विकास कार्यों में पूरा सहयोग किया जाता है। भक्तों ने बताया कि यह मंदिर विशेष संगमरमर से बनाया गया है। पहले दर्शनार्थियों को 763 सीढिय़ां चढ़कर आना पड़ता था, अब मंदिर से कुछ कदम दूर तक पक्की सड़क बन गई है पहाड़ी को काट कर सड़क बनाईं। वाहन सीधे मंदिर के निकट आ सकते है।15 किलोमीटर दूर से ही माता का दरबार दिखाई देता है।